बिहार में सरकार हर क्षेत्र में खुद को आगे रखने के होड़ में है। खास कर महिलाओं के क्षेत्र में बिहार बाकि कई राज्यों से खुद को आगे स्थापित किये हुए है। और अब एक और क्षेत्र में बिहार, यूपी-झारखंड से खुद को आगे रखने में कामयाब हुआ है। बिहार में प्रजनन दर गिरावट के बावजूद यूपी-झारखंड से अधिक है। जो राष्ट्रीय स्तर पर पहले तीन राज्यों में शामिल है। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) की दूसरे चरण की रिपोर्ट जारी होने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की नई तस्वीर उभर कर सामने आयी है।
NFHS-4 की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में प्रजनन दर 3.4 था जो इस बार जारी NFHS-5 की रिपोर्ट में कम हुआ है। अब बिहार में प्रजनन दर घटकर 3.0 हो गया है। जबकि राष्ट्रीय प्रजनन दर इस दौरान 2.2 से घटकर 2.0 हो गया है। अब बिहार के पड़ोसी राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में प्रजनन दर 2.7 से घटकर 2.4 हो गया है। और झारखंड में 2.6 से घटकर 2.3 हो गया है। तुलनात्मक रूप से देखा जाये तो प्रजनन दर में बिहार में 0.4 की कमी आयी है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 0.2 और यूपी और झारखंड में 0.3-0.3 की कमी देखने को मिली है।
National Family Health Survey-5 (Bihar)
बिहार में लिंगानुपात में सुधार की प्रक्रिया जारी है और स्थिति पहले से बेहतर हो रही है। बिहार में लिंगानुपात 1062 से बढ़कर 1090 हो गया है। पड़ोसी राज्यों जैसे उत्तरप्रदेश में 995 से 1017 और झारखंड में 1002 से बढ़कर 1050 हो गया है। राष्ट्रीय लिंगानुपात दर 991 से बढ़कर 1020 हो गयी है।
बिहार में नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाना अब भी चुनौती बनी हुई है। राज्य में नवजात शिशु मृत्यु दर NFHS-4 में 36.7 थी जो NFHS-5 में घटकर 34.5 हो गयी है। और राष्ट्रीय नवजात शिशु मृत्यु दर तुलनात्मक रूप से 29.5 से कम हो कर 24.9 हो चुका है। साथ ही बिहार में इंफेंट मोर्टिलिटी रेट (आईएमआर- एक वर्ष तक के बच्चों की मौत) की दर बिहार में 48.1 से 46.8 हुई है।