Kashi-Vishwanath-Dham-Corridor

पूरे भारत में अयोध्या का राम मंदिर काफी चर्चा का केंद्र है, पर अब इसी मंदिर के तर्ज पर काशी विश्वनाथ मंदिर का नया स्वरूप विकसित हुआ है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द हीं काशी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करने वाले हैं। ‘दिव्य काशी, भव्य काशी’ प्रोग्राम के नाम से प्रधानमंत्री, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन 13 दिसंबर को करेंगें।

लगभग 1,000 करोड़ रुपए की लागत से बने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला मार्च 2019 में रखी गयी थी। इसे एक टूरिस्ट सेंटर की तरह से भी भी डेवलप किया जा रहा है। 320 किमी लंबे और 20 किमी चौड़े पैदल मार्ग के साथ, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर उन दो चीजों को जोड़ेगा जिनके लिए वाराणसी फेमस है, और उसमें से एक है काशी विश्वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर और दूसरी है गंगा नदी। इस मंदिर के पुनर्निर्माण में पत्थर वैसे ही लगाए गए हैं जैसे 1000 साल पहले लगते थे।

घाट से गंगाजल लेकर श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन करने अब बड़ी आसानी से आ सकते हैं। पहले लगभग पांच से दस हजार श्रद्धालु दर्शन करने आते थे लेकिन अब इस कॉरिडोर के बन जाने से एक लाख से ज़्यादा श्रद्धालु एक साथ जलाभिषेक कर सकेंगे।

इस प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में कुल 24 भवन बनाए गए हैं, जिसमें यात्रियों के लिए गेस्ट हाउस भी बनवाये गए है। इसमें ऐसी सीढ़ियां बनाई गयी हैं, जिसपर चढ़कर बूढ़े, बच्चे, सभी, बाबा के पास चलकर आसानी से पहुंच सकते हैं। यहाँ पर भक्तों को हवन जैसे धार्मिक कार्यों के लिए विशेष यज्ञशालाएं मिलेंगी। इस प्रोजेक्ट में मंदिर चौक, वाराणसी सिटी गैलरी, म्यूजियम, मल्टीपर्पस ऑडिटोरियम, हॉल, भक्तों के लिए सुविधा केंद्र, सार्वजनिक सुविधा, मोक्ष गृह, गोदौलिया गेट, भोगशाला, पुजारियों और सेवादारों के लिए आश्रय, आध्यात्मिक पुस्तक के लिए स्थान, आदि का निर्माण शामिल है।

कई विध्वंस के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने करवाया है, जिसकी मूर्ति इस कॉरिडोर में लगने वाली है। इसके साथ हीं इस कॉरिडोर में आदि शंकराचार्य, भारत माता और भगवान कार्तिकेय की भी मूर्ति लगने वाली है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ का अपना ही एक विशेष स्थान है। अब आइये चलते हैं और जानते हैं इस मंदिर से जुड़े तथ्य के बारे में।

काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के लिए बहुत ही खास है। माना जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हरि चंद्र द्वारा विश्वेश्वर मंदिर के रूप में किया गया था। यह मंदिर वाराणसी में स्थित है। मान्यता है कि काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ है। कहा जाता है कि ये मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती का आदि स्थान है। एक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा में बहस छिड़ गई थी कि कौन अधिक शक्तिशाली है। इस बहस को दूर करने के लिए भगवान शिव ने विशाल ज्योतिर्लिंग का रूप धारण कर लिया था। शिव जी ने भगवान विष्णु और ब्रह्मा को विशाल ज्योतिर्लिंग के स्रोत और ऊंचाई का पता लगाने को कहा। ब्रह्मा जी आकाश की तरफ ऊंचाई का पता लगाने गए और विष्णु जी गहराई का पता लगाने गए। दोनों ही शिव जी के अनंत छोड़ का पता नहीं लगा सके।

इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है की विश्व में भगवान शिव के जितने भी मंदिर हैं, उनमें सबसे पहले मंगला आरती बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में ही होती हैं। इस कॉरिडोर के बन जाने से ना सिर्फ श्रद्धालुओं को परेशानियों से निजात मिलेगा बल्कि स्ट्रीट टूरिज्म को भी बहुत फायदा होगा।