आजादी के वक़्त बापू का बिहार से काफी गहरा रिस्ता रहा है। क्योंकि सालों पहले जिस आज़ाद भारत के पेड़ को रोपा गया था, उसकी जड़ें बिहार तक फैली हुई थी। इसीलिए बिहार की तरफ बापू का झुकाव शुरू से रहा था। और अब इसी झुकाव को याद करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की राजधानी पटना में बापू टावर के निर्माण की घोसना की है। जो राजधानी के गर्दिनिबाग़ इलाके में निर्माणधीन है।
बिहार की राजधानी में जहाँ महात्मा गांधी की सबसे ऊंची कास्य प्रतिमा स्थापित होने का गौरव प्राप्त है। उसी राजधानी पटना में अब बापू के सम्मान में जल्द ही बापू टावर का निर्माण भी पूरा कर लिया जाएगा। चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह की स्मृति में बन रहे 120 फीट ऊंचे बापू टावर का निर्माण काफी तेज़ी से चल रहा है। और जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बापू टावर के डिजाइन को देखा तो उन्होंने बापू टावर के डिजाइन को काफी सुंदर और आकर्षक बताया।
कुछ साल पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि गांधी जी के विचारों को अपना कर हम जीवन को और भी सुखद बना सकते हैं। और उसी वक़्त उन्होंने राजधानी में गांधी के विचारों को समेटते हुए गाँधी टावर के निर्माण की घोषणा की थी। पटना के गांधी मैदान में स्थित बापू की कस्य मूर्ति दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति है। और अब फिर से गांधी के उच्च विचारों का संचार करती हुई 120 फीट उच्चा बापू टावर का निर्माण हो रहा है।
आपको बता दें कि इस टावर के शीर्ष ऊंचाई पर गांधी के विचारों और जीवन संस्मरणों को अंकित किया जाएगा। आपको बता दें कि नीतीश कुमार का ये ड्रीम प्रोजेक्ट अपने आप में अद्भूत और अद्धितिय होगा। इस टावर का बुनियादी ढांचा लगभग तैयार हो चूका है। पटना के गर्दनीबाग में बन रहा बापू टावर अगले साल यानी मई 2022 तक बनकर तैयार हो जाएगा। हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस निर्माणाधीन टावर का जायजा भी लिया था।
निरीक्षण के दौरान सीएम को अधिकारियों ने बापू टावर के बारे में विस्तृत जानकारी दी। अधिकारियों ने सीएम को बताया कि मई 2022 तक बापू टावर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। सीएम ने निरीक्षण के दौरान अधिकारीयों से कहा कि बापू टावर का निर्माण जल्द से जल्द पूरा किया जाये। जिससे नई पीढ़ी को बापू के जीवन के बारे में एक-एक चीज़ अच्छे तरीके से पता चल सके। साथ आपको बता दें कि बापू टावर के इस परिसर में ग्रीन एरिया को भी विकसित किया जायेगा। जिससे टावर का एरिया काफी आकर्षित दिखेगा।
लोग इस टावर का भर्मण कर बापू के बारे में कई जानकारियां प्राप्त कर सकेंगे। महात्मा गांधी को समर्पित 120 फीट ऊंचा बापू टावर दूसरे टावर से बिलकुल अलग है। टावर में बापू के चंपारण सत्याग्रह से जुड़ी सभी स्मृतियों के दर्शन लोगों को होंगे। साथ ही यहां उनसे जुड़े पूरे इतिहास की भी जानकारी होगी। इस टावर को एक एकड़ हिस्से में बनाया जा रहा है। और पांच एकड़ जमीन पर ग्रीन एरिया यानी पार्क विकसित किया जा रहा है।
अब टावर के लम्बाई की बात करें तो दिल्ली के कुतुब मीनार की ऊंचाई 239.5 फीट है। शहीदों की याद में कोलकाता में बने ‘शहीद मीनार’ की ऊंचाई भी 157 फीट है। पर, बापू टावर इन सभी टॉवरों से अलग होगा। जो राज्य का सबसे ऊंचा टावर होगा। जहां तक पटना के भवन की बात करें तो गांधी मैदान स्थित बिस्कोमान भवन 233 फीट ऊंचा है जो पटना में नंबर वन पर बना हुआ है।
बता दें कि 120 फ़ीट ऊँचा बापू टावर 6 मंजिला होगा। जहाँ टावर के नीचे वाले हिस्से में जो बड़ी लॉबी तैयार होगी, वहां लोगों के लिए बापू और चंपारण सत्याग्रह से संबंधित ऑडियो-वीडियो उपलब्ध होगा। लॉबी के पीछे वाले हिस्से में लिफ्ट लगाई जाएगी, जहां से पर्यटक इस लिफ्ट से टावर के सबसे ऊपर वाले हिस्से तक जाएंगे। वहां से वे रैैंप के सहारे एक-एक कर फ्लोर होते हुए नीचे उतरेंगे। जिसकी लागत लगभग 85 करोड़ रुपये है।
इस टावर के बनने से पटना आने वाले पर्यटकों को गाँधी के चंपारण सत्याग्रह से लेकर बापू के जीवन से जुड़ी सभी चरित्रों का व्यापक रूप देखने को मिलेगा।