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लाल ईंट भट्ठा से बहुत अधिक प्रदूषण होता है। इस कारण भारत सरकार ने लाल ईंट भट्ठा को बंद करने का निर्देश दिया है। इस दिशा में राज्य सरकार भी काम कर रही है। लेकिन फिलहाल बिहार में लाल ईंट पर प्रतिबंध नहीं लगेगा। लेकिन चरणवार तरीके से इसे बंद करने की योजना बनाई जा रही है। अचानक सभी लाल ईंट भट्ठा बंद करने से आम लोगों को काफी परेशानी होगी।

सूबे में फिलहाल 6 हजार से अधिक ईंट भट्ठे चल रहे हैं। करीब दो-तीन लाख लोग इस व्यापार से सीधे जुड़े हैं। उनका रोजगार प्रभावित न हो और केंद्र सरकार द्वारा सुझाए फ्लाई ऐश ईंट (सफेद ईंट) को चलन में लाने की योजना बनायी जा रही है।

वन एवं पर्यावरण मंत्री नीरज कुमार सिंह ने भागलपुर सर्किट हाउस में विभागीय बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य में छह हजार से अधिक लाल ईंट के भट्ठा और 400 फ्लाइ एस ब्रिक्स के यूनिट संचालित हो रहे हैं। राज्य सरकार फ्लाइ एस ब्रिक्स के ईंट भट्ठा को बढ़ावा देगी। यह व्हाइट इंडस्ट्री की श्रेणी में आता है। फ्लाइ एस ब्रिक्स से प्रदूषण काफी कम होता है। इसके लिए किसी प्रकार के लाइसेंस की भी आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे में फ्लाइ एस ब्रिक्स उद्योग रोजगार को बढ़ावा देने में काफी कारगर साबित होगा।

अगर कोई व्यक्ति फ्लाइ एस ब्रिक्स निर्माण से जुड़ा कारोबार शुरू करना चाहते हैं, तो वह सिर्फ विभाग को सूचना देकर यूनिट की स्थापना कर सकते हैं। डिमांड करने पर एनटीपीसी कहलगांव की ओर से नि:शुल्क एश (राख) उपलब्ध कराया जाएगा। फ्लाइ एश ब्रिक्स से किया जाने वाला निर्माण कार्य मजबूत के साथ-साथ किफायती भी होता है। इसके इस्तेमाल से लागत खर्च बहुत कम हो जाता है।