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बिहार का मगध विश्वविद्यालय पहले अपने देरी से हुए परीक्षाओं के कारण सुर्ख़ियों में रहता था। लेकिन अब यहां के कुलपति के घोटाले के कारण यह विवि सुर्ख़ियों में है। मगध विश्वविद्यालय के कुलपति बीस करोड़ रुपये के घोटाले मामले में फंसते हुए दिख रहे हैं। मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डा. राजेंद्र सिंह की अग्रिम जमानत की याचिका निगरानी कोर्ट ने खारिज कर दी है। इससे कुलपति की गिरफ्तारी के आसार बढ़ गए हैं।

सोमवार, 24 जनवरी को निगरानी के विशेष जज मनीष द्विवेदी की अदालत में आरोपित कुलपति डा. राजेंद्र सिंह की अग्रिम जमानत पर सुनवाई हुई। 21 जनवरी को अदालत ने कुलपति के अधिवक्ता की ओर से दायर अग्रिम जमानत मामले में वर्चुअल सुनवाई की थी। विजिलेंस के अधिवक्ता आनंदी सिंह ने अग्रिम जमानत का विरोध किया था। उन्होंने कोर्ट को बताते हुए कहा था कि डा. राजेन्द्र प्रसाद इस मामले के मुख्य आरोपित हैं।

मगध विवि में आपसी साठ गाठ कर OMR Sheet, Question Paper और Books की खरीद में करोड़ों का घपला किया गया है। मगध विवि के कुलपति के गोरखपुर वाले पैतृक आवास पर हुई रेड में एक करोड़, 82 लाख, 75 हजार रुपये नकद बरामद किया था। इसके अलावा, 42 लाख, 84 हजार 247 रुपये का सोना और एक लाख, 93 हजार 620 रुपये की चांदी के गहने और विदेशी मुद्रा बरामद कीगयी है। इस मामले में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार जितेन्द्र कुमार सहित कई अन्य आरोपी मिले हैं। जितेन्द्र कुमार की अग्रिम जमानत याचिका अदालत में लंबित है। वीर कुंवर विश्वविद्यालय के वित्तीय अधिकारी ओमप्रकाश भी इस घोटले में आरोपित हैं।

अदालत इस मामले में आरोपित मगध विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डा. पुष्पेंद्र कुमार वर्मा, प्राक्टर जयनंदन प्रसाद सिंह, पुस्तकालय प्रभारी विनोद सिंह, कुलपति के निजी सचिव सुबोध कुमार को 20 दिसंबर को जेल भेज चुकी है। अब मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डा. राजेंद्र सिंह की अग्रिम जमानत की याचिका अदालत ने खारिज कर दी है। जिसके बाद उनपर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।

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