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देश के इतिहास में कई ऐसी कहानियाँ सुनी और कहीं जाती है। जिसमें गरीबों और जरुरतमंदों के लिए लोगों ने अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया। लेकिन खुद मुफ्लिसी में दिन काट रहा कोई शख्‍स अपनी मेहनत के रुपयों से गरीबों के लिए कंबल खरीदे, भूखों को भोजन कराए और ठंड में अलाव जलवाए तो यह बड़ी बात है।

स्वयं के लिए तो पूरी दुनिया जीती है। लेकिन गया में चाय बेचकर गुजारा करने वाले संजय चंद्रवंशी पिछले कई सालों से गरीबों, भिखारियों और अर्द्धविक्षप्तों की सेवा का काम जारी रखा है। इन्होनें हंसते हंसते गरीबों की सेवा में अपने घर तक को गिरवी रख दिया। हाल में उन्‍होंने अपनी आमदनी से गरीबों के लिए दो सौ कंबल खरीदे और बांट दिए। सेवा अब संजय का जुनून बन गया है।

संजय चंद्रवंशी गया के गौतम बुद्ध मार्ग के गोल पत्थर मोड़ के पास ठेले पर चाय बेचते हैं। उन्‍हें जानने वाले कहते हैं कि गरीबों, असहायों और विक्षिप्‍त लोगों के लिए संजय हमेशा समर्पित रहते हैं। पूरे दिन चाय, सत्तू और जूस बेचने से जो भी आमदनी होती है, उसका एक हिस्‍सा संजय गरीबों को भोजन कराने पर खर्च कर देते हैं। संजय को यह प्रेरणा उनके पिता से मिली। संजय बताते हैं कि उनके परिवार में दूसरों की मदद और दान की परंपरा दादा जी के भी पहले के समय से चली आ रही है।

उनके दादा हमेशा गरीब और असहाय लोगों की मदद किया करते थे। उनके पिता गरीब लोगों की जरूरत के हिसाब से मदद करते थे। आज संजय भी आर्थिक स्थिति बहुत अच्‍छी न होने के बावजूद रोज 20 से 25 या इससे अधिक संख्या में जुटे गरीबों को भोजन कराते हैं। इसके अलावा वह सुबह ठेले के पास मौजूद गरीबों को चाय और बिस्किट भी देते हैं।

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