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राजधानी पटना में ऑपरेशन क्लीन अप के तहत 21 पुलिसवालों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। बर्खास्त किए गए 11 सिपाहियों पर 5 सालों से अनुपस्थित रहने, 5 सिपाहियों पर शराब का सेवन करने, 3 सिपाहियों पर भ्रष्टाचार में संलिप्त रहने तथा दो पुलिसकर्मियों के विभिन्न कांडों में नामजद आरोपित होने के आरोप में यह कार्रवाई की गई है।

बर्खास्त किए गए सिपाहियों में पटना पुलिस मेंस एसोसिएशन का उपाध्यक्ष वेध निधि उर्फ लाली भी शामिल है। इस पर कई मुकदमे दर्ज हैं। कदमकुआं थाने में 14 जुलाई, 2018 को दर्ज धोखाधड़ी कर सोना की चोरी करने के आरोप में भी उस पर कार्रवाई की गई है। एसएसपी ने बताया कि आपरेशन क्लीनअप के तहत अलग-अलग मामलों में दोषी सिपाहियों को जनवरी की विभिन्न तिथियों से बर्खास्त कर दिया गया है।

सिपाही इंद्रजीत तिवारी ने शराब के नशे में तीन राउंड फायरिंग कर दी थी। इसके बाद उसका हथियार जब्त कर जांच के लिए भेजा गया था। सिपाही अखिलेश पाठक, बहादुर उरांव, अजय कुमार (कांस्टेबल नंबर 6114) और विशेष कुमार सिंह शराब पीने के आरोप में दोषी पाए गए थे।

बर्खास्त रविकांत तिवारी ने नवीन पुलिस केंद्र में खड़ी बुलेट बाइक चुरा ली थी। वेध निधि उर्फ लाली पर सोने की चोरी का आरोप था, वहीं श्रीराम मालाकार खगड़िया जिले में दहेज हत्या का नामजद अभियुक्त था। इसके अलावा अजय कुमार को निगरानी की टीम ने रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। सिपाही चालक श्रीकांत पांडेय सरकारी गाड़ी के मीटर रीडिंग में छेड़छाड़ कर ईंधन की राशि का गबन कर रहा था।

गायब सिपाही

सिपाही नितेश कुमार, हरेंद्र प्रसाद, नितीश कुमार, भूषण कुमार, रानी कुमारी, अशोक कुमार, शशिभूषण तिवारी, नंद कुमार यादव, शंकर कुमार, अर्पनेश कुमार और रामानंद कुमार को बिहार पुलिस अब तक ढूंढ़ नहीं पाई। ये पटना जिला बल के जवान थे और पांच साल से अधिक समय से ड्यूटी पर नहीं आए। बताया जाता है कि इनके खाते में कई महीनों तक वेतन की राशि जमा की गई। समीक्षा के उपरांत भुगतान रोक दिया गया था।

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