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उत्‍तर प्रदेश के मंत्रियों को परिवार संग अपनी सम्‍पत्ति की जानकारी सार्वजनिक करने के अलावा उपहार स्‍वीकार करने में भी सावधानी बरतनी होगी। मंत्री अब 5 हजार रुपए से ज्‍यादा कीमत के गिफ्ट नहीं ले सकेंगे। इससे ज्‍यादा कीमत के गिफ्ट कोषागार में जमा कराने होंगे।

इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रियों को सख्त हिदायत दी है कि वे किसी भी तरह के महंगे गिफ्ट को स्वीकार न करें। बताया जा रहा है कि मंत्रियों को इस सम्‍बन्‍ध बकायदा लिखित में आचार संहिता उपलब्‍ध करा दी गई है। कहा गया है कि ऐसे प्रतीक जो सामंत शाही का बोध कराते हैं जैसे सोने-चांदी के मुकुट आदि, स्‍वीकार नहीं करने चाहिए। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सभी निर्वाचित सदस्यों (मंत्री भी शामिल) के लिए सार्वजनिक आचरण के मानक तय हैं।

किसी भी संस्था द्वारा सम्मान लेने से पहले भी उसकी स्वीकृति लेनी होगी। मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को यह भी कहा है कि किसी भी सम्मान समारोह में शामिल होने से पहले उस संस्था या संगठन की जांच अवश्य कर लें कि कहीं उस पर किसी तरह का आरोप तो नहीं है। विदेशी संस्थाओं से भी सम्मान लेने से पहले अनुमति लेनी होगी और उसकी भी जांच जरुरी होगी।

  • किसी मंत्री को 5,000 रुपये से अधिक मूल्य के उपहार या प्रतीक चिह्न नहीं लेने चाहिए। इससे महंगा उपहार राज्य सरकार की संपत्ति समझा जाएगा। उसे ट्रेजरी में जमा करवाना होगा।
  • अगर मंत्री महंगा उपहार अपने पास रखना चाहता है तो उसे उपहार की वास्तविक कीमत से 5 हजार रुपये घटाने के बाद बची राशि का ट्रेजरी में भुगतान करना होगा।
  • मंत्री या उनके परिवार को जिसके साथ सरकारी लेन-देन है, उससे कीमती उपहार नहीं लेने चाहिए, न ही कोई ऐसा कर्ज लेना चाहिए जिससे कर्तव्य प्रभावित हो।
  • विदेश दौर पर मिले प्रतीकात्मक उपहार जैसे सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न या समारोह से जुड़े उपहार मंत्री रख सकेंगे। बाकी ट्रेजरी में जमा करवाने होंगे।
  • मंत्री किसी भी संगठन से पुरस्कार लेने से पहले उसके बारे में पूरी जांच-पड़ताल करें। संस्था ठीक है तो पुरस्कार ले सकते हैं, लेकिन नकद धनराशि नहीं ली जानी चाहिए।
  • पुरस्कार देने वाली संस्था विदेशी है तो सरकार से अनुमति लेनी होगी।

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