अब आयुष से जुड़ी दवाइयों यानि आयुर्वेदिक, यूनानी एवं होमियोपैथी से जुड़ी दवाओं के रिजल्ट से आप अगर नाखुश है तो बिहार में इन दवाओं से जुड़ीं कोई शिकायतों को पेरिफेरल फार्मकोविजिलेंस सेंटर (PPVC) में दर्ज करा सकते हैं। और इन्हीं शिकायतों के आधार पर केंद्र सरकार संबंधित दवा की गुणवत्ता की जांच कर निर्माता कंपनियों को सुधार करने का निर्देश जारी करेगी।
अभी तक बिहार में आयुष से जुड़ी दवाओं से संबंधित शिकायत दर्ज कराने के लिए कोई उपयुक्त सरकारी प्लेटफॉर्म नहीं था। लेकिन अब बिहार में देसी चिकित्सा से जुड़ी दवाओं की गुणवत्ता पर नजर रखी जा सकेगी। क्योंकि, केंद्र सरकार ने देशभर में 75 से ज्यादा पेरिफेरल फार्मकोविजिलेंस सेंटर की स्थापना की है। पटना के पीपीवीसी को इंटरमीडिएरी फार्मको विजिलेंस सेंटर (आईपीएवीसी) से संबंद्ध किया गया है। देशभर में पांच आईपीएवीसी स्थापित किए गए है।
पटना के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संपूर्णा नंद तिवारी के अनुसार प्राय: यह देखा जाता है कि आयुष के क्षेत्र में कार्य करने वाली विभिन्न कंपनियां अपनी दवाओं के प्रचार-प्रसार हेतु ऐसे विज्ञापनों का प्रयोग करती हैं जो भ्रामक एवं कानून सम्मत नहीं होती हैं। इस केंद्र की स्थापना के बाद आयुर्वेदिक, यूनानी एवं होमियोपैथी दवाओं के सजावटी विज्ञापनों का भी राज खुलेगा।
इसके साथ ही अब विज्ञापन के माध्यम से दवा विशेष के सेवन से लंबाई बढ़ाने या मर्दाना कमजोरी को दूर करने, शक्तिवर्धन करने, तिल हटाने, गोरा बनाने इत्यादि के दावे करने वाली दवाइयों के खिलाफ शिकायतों के आधार पर कार्रवाई की जा सकेगी। कोई भी आयुष चिकित्सक या मरीज पीपीवीसी, पटना में शिकायत करता है तो कार्रवाई की जाएगी।
राजधानी पटना के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सा अस्पताल में स्थापित पीपीवीसी की आधारभूत संरचना मजबूत करने की दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी गयी है। इस सेंटर का भारत सरकार के निर्देश के आलोक में बैंक खाता खोल दिया गया है। संस्थान के लिए आयुर्वेदिक कॉलेज परिसर में कमरा के आवंटन की प्रक्रिया भी शुरू दी गई है। जल्द ही इसमें बीएएमएस उत्तीर्ण तकनीकी रूप से विशेषज्ञ चिकित्सक की तैनाती कर दी जाएगी।