नोएडा में सुपरटेक ट्विन टावर (Twin Tower) 3,700 किलोग्राम विस्फोटक के उपयोग के बाद लगभग नौ सेकंड के भीतर ध्वस्त हो गया, जिससे नौ साल की लंबी कानूनी लड़ाई समाप्त हो गई। पहली बार अदालत के आदेश पर इतनी बड़ी इमारतों को गिराया गया। इसके लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक लंबी लड़ाई लड़ी गई।
राष्ट्रीय राजधानी में कुतुब मीनार से ऊंचे टावर, एपेक्स (32 मंजिल) और सेयेन (29 मंजिल), 100 मीटर ऊंचे थे और उन्हें ध्वस्त किया गया। एपेक्स (Apex) और सेयेन (Ceyane) टावरों को गिराने से लगभग 35,000 क्यूबिक मीटर मलबा निकला जिसे साफ होने में कम से कम तीन महीने लगेंगे। ये टावर्स सुपरटेक लिमिटेड (Supertech Ltd) की एमराल्ड कोर्ट (Emerald Court) परियोजना का हिस्सा थे और निर्माण के संबंध में कई नियमों का उल्लंघन करते हुए पाए गए थे। परिवेश को कम से कम नुकसान सुनिश्चित करने के लिए उन्हें ‘नियंत्रित विस्फोट’ के माध्यम से ध्वस्त कर दिया गया
एक बटन दबाने पर हुए विस्फोट के तुरंत बाद, टावर ध्वस्त हो गए, जिससे भारी धूल का एक बादल पैदा हो गया और इस तरह आसपास का वातावरण प्रदूषित हो गया। हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यावरण विभाग ने प्रदूषण के स्तर की निगरानी के लिए विध्वंस स्थल पर छह विशेष धूल मशीनें लगाई हैं।
विध्वंस से पहले, नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावरों के आसपास करीब 500 पुलिस और यातायात कर्मियों को तैनात किया गया था। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे (Noida Expressway) दोपहर 2.15 से 2.45 बजे के बीच बंद रहा, जबकि शहर में ड्रोन के लिए नो-फ्लाई जोन बनाया गया था। फेलिक्स अस्पताल भी हाई अलर्ट पर है क्योंकि डॉक्टर, पैरामेडिक्स और नर्स सभी किसी भी आपात स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। यह अस्पताल विध्वंस स्थल से महज 4 किमी दूर है।