आज महिलाएं सशक्त हैं। कंधे से कन्धा मिला कर चलना वो अच्छे से जानती हैं। ऊपर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिलाओ को सशक्त बनाने के हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जब किसी महिला को न पति का सपोर्ट मिले और न ही परिवार की मदद तो वैसी महिलाएं हार मान कर घर की चार दीवारी में बंद हो जाती हैं। लेकिन कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं जो खुद को दुनिया के लिए उदाहरण बनती है कि अगर मन में उम्मीद की लौह जगी है तो उसे बुझने नहीं देंगे। और एक ऐसी ही महिला की कहानी बिहार के भागलपुर जिले से निकल कर सामने आई है। जिसे उसके पति ने पहले ही छोड़ दिया और ससुराल वालों ने कभी उसको सपोर्ट नहीं किया। इन सब के बावजूद भागलपुर की ये महिला खुद के लिए और अपने बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए ई-रिक्शा चला रही है।
ई-रिक्शा चालक महिला को देख लगभग सभी यात्री इस महिला की हिम्मत को सराह रहे हैं। भागलपुर के सुल्तानगंज प्रखंड अंतर्गत बाथ थाना क्षेत्र के नयागांव पंचायत स्थित उत्तर टोला ऊंचागांव निवासी मजदूर अमरजीत शर्मा की 30 वर्षीय पत्नी पिंकी देवी घर से ई-रिक्शा लेकर निकलती हैं। और पूरे दिन मेहनत और इमानदारी के दम पर धन अर्जित करती हैं।आत्मनिर्भर पिंकी उन हर महिलाओं के लिए प्रेरणा की श्रोत हैं, जो समाज की पिछड़ी सोच के नीचे दबती है। मीडिया से बात करते हुए पिंकी ने बताया कि वो मुंगेर जिला के असरगंज थाना अंतर्गत ममई गांव की रहने वाली है। और चार भाई-बहन में सबसे बड़ी है।
वो पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहती थी, लेकिन उसके पिता सुरेन शर्मा की आर्थिक स्थिति ठीक नही रहने के कारण 8वीं तक ही पढ़ाई कराई। और साल 2010 में उसकी शादी ऊंचागांव में सुबोध शर्मा के पुत्र अमरजीत से कर दी। यहां उसके पति के पास रहने के लिए अपनी जमीन भी नही है। उनके गोतिया ने रहने के लिए मौखिक रुप से कुछ जमीन दी है, जिसमें सास-ससुर सहित पति-बच्चों के साथ रहती है। पिंकी के चार बच्चे हैं। इनमें दो पुत्री 10 वर्ष की वर्षा और सात वर्ष की रिया व दो पुत्र पांच वर्ष का शिवम और तीन वर्ष का सत्यम हैं।
चार बच्चों की मां पिंकी ने बच्चों को बेहतर शिक्षा और घर की आर्थिक स्थिति मजबूत करने का संकल्प लिया है। पहले तो पिंकी ने सब्जी बेचकर ई-रिक्शा को ख़रीदा और अब इसी ई-रिक्शा के सहारे वो आत्मनिर्भर हुई हैं। अब सवारी बिठाकर प्रतिदिन 500-800 रुपये कमेटी हैं। 8वीं पास पिंकी बच्चों को डाक्टर और इंजीनियर बनाना चाहती हैं।
पिंकी ने कहा कि ‘मैं नहीं पढ़ सकी तो क्या… बच्चों को पढ़ाऊंगी’ आर्थिक तंगी के कारण आगे की पढ़ाई नही करने पर मेरे सपने अधूरे रह गए। लेकिन जब मुझे पहली पुत्री हुई। तो मेरा सपना फिर जाग उठा। तब सोचने लगी कि मैं तो पढ़ाई नही कर सकी। लेकिन अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा दिलाकर काबिल बनाऊंगी। लेकिन मेरे पति की मजदूरी राशि घर और बच्चों की भरण-पोषण में ही सिमट कर रह जाती थी। तब मैंने संकल्प लिया कि मैं भी मेहनत करुंगी। और आर्थिक स्थिति को मजबूत कर, बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाकर डाक्टर-इंजीनियर और ऑफिसर बनाऊंगी।