@Isha Priya

खचाखच भरे संवाददाता सम्मेलन में जद (यू) के असंतुष्ट नेता उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। साथ ही एक नया संगठन राष्ट्रीय लोक जनता दल बन चूका है  । नई पार्टी की घोषणा के तुरंत बाद, उन्होंने बिहार विधान परिषद से भी अपना इस्तीफा दे दिया।

औपचारिक घोषणा से पहले, उन्होंने अपनी नराज़की मुख्या मंत्री पर दिखाई और गंभीर आरोप भी उन पर लगाए। और उन पर “राजनीतिक विरासत को गिरवी रखने” का आरोप लगाया।

बता दे उपेंद्र कुशवाहा ने इससे पहले भी कई बार श्री नितीश कुमार का हाथ छोड़ा है और एक बार फिर नितीश कुमार  के साथ मतभेदों को लेकर जद (यू) से नाता तोड़ लिया है। उन्होंने 2007 और 2013 में भी पार्टी छोड़ दी और 2009 और फिर 2021 में वापस आए। इससे पहले भी उन्होंने 2013 में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) का गठन किया था, लेकिन 2021 में इसका जद (यू) में विलय कर दिया।

वही कुशवाहा के इस बड़े एलान पर प्रतिक्रिया देते हुए, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि इससे पार्टी पर कोई प्रभाव नहीं होने वाला । “यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने पार्टी छोड़ी है, पहले भी उन्होंने ऐसा किया है और कुछ भी नहीं हुआ है। मैं उन्हें अपनी शुभकामनाएं देना चाहता हूं और अनुरोध करता हूं कि उन्होंने जो भी फैसला किया है, उस पर कायम रहें। हमने देखा है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में बसपा और एआईएमआईएम के साथ ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (जीडीएसएफ) बनाने के बाद वह कितनी बुरी तरह विफल रहे।

इस तरह से पार्टी कमजोर हो रही है

उपेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी यादव को भी उन्होंने निशाने में लिया हलाकि उनका नाम साफ़ तौर पर नहीं लिया । लेकिन इतना  कहा  की  वो बिहार को इस नेता के हाथ में नहीं दे सकते जिसका ज़िक्र मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में रखा जा रहा है। आगे कहा ‘ मुझे लगा कि सबलोग वहीं चले जाएंगे। इस तरह से पार्टी कमजोर हो रही है। हर मोर्चे पर हमने अपनी बात कही। मेरी बातें मुख्यमंत्री जी को शिकायत लग गई। मैंने हिस्सेदारी की बात की तो उन्होंने यहां तक कह दिया कि जिसे जहां जाना है जाएं’. और अब आख़िरकार कुशवाहा ने सभी कयाशो पर विराम लगते हुए अपनी नयी पार्टी की घोषणा कर दी है।  दरअसल बितो दिनों जदयू के मंत्री खास तौर पर कुशवाहा के बयान  जो मुख्य नितीश कुमार के विरोध में बोले जा रहे थे उससे काफी हल चल मची हुई थी. और सभी महागठबंधन के मजबूती पर भी सवाल  उठाने लगे थे।  और अब ऐसे में यह कदम बिहार राजनति को थोड़ा साफ़ करता दिख रहा है।  और साफ़ तौर पर मंत्रियो की नराज़की और असहमति दिखाई पर रही है.

कहा कि नीतीश कुमार अपना कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।

वही अगर महा गठ बंधन की बात करे तोह उस पर उपेंद्र कुशवाहा का कहना है  विजेंद्र यादव और ललन सिंह ने राजद के साथ गठबन्धन करा दिया। कुछ लोगो ने उनको घेर लिया। और अब मुख्यमंत्री नितीश कुमार घिरे हुए है और अपना निर्णय नहीं ले पा रहे है।  और ये उतराधिकारी का निर्णय नितीश कुमार  का नहीं है या उन पर दबाव है।  नीतीश कुमार को अपना उत्तराधिकारी बनाने ही नहीं दिया गया। उन्होंने कहा जदयू को सभी समाज ने ताकत दिया। किसी भी समाज से किसी को उत्तराधिकारी बना देते। ऐसे में पड़ोसी से उत्तराधिकारी खोज रहे हैं।  उन्हें उपेंद्र में उत्तराधिकारी नहीं दिखा क्या? अगर मुझे नहीं बनाते तो किसी और को ही बना देते। अपने घर से ही किसी को बना देते।

मुख्यमंत्री के दावेदारी की लड़ाई

अब मुख्यमंन्त्री नितीश कुमार के उत्तराधिकारी के निर्णय पर बाकि भी मंत्री नाराज़ नज़र  आ रहे है।  बता दे उप मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने फिर गरीब संपर्क यात्रा के दौरान अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाने की इक्छा जाहिर की है बोले ‘ मेरे बेटे में है योग्यता, इसलिए वह भी एक दावेदार है। अब सब इतना ही कहना छह रहे  है की उत्तराधिकारी अपने घर से यानि की जदयू से ही बननी चाइये न की परोसी यानि राजद में से।  और अब लगातार इस मुद्दे से मुख्य नितीश कुमार घिरते जा रहे है।