पटना में जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय (DHS) के सामने लगभग 50 ऑक्सीजन सिलेंडर खुले में जंग खा रहे हैं। ऐसे वक्त में जब ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी लोगों की जान पर भारी पड़ रही है, प्रशासन की यह लापरवाही अक्षम्य है। सिलेंडरों को लेकर पड़ताल शुरू की तो चौंकाने वाली जानकारी मिली। यह सिलेंडर साल भर से यहां ऐसे ही पड़े हैं। वहीं, इस बारे में जब पटना DM से पूछा तो उन्होंने सिविल सर्जन से जवाब मांग लिया।
इस पर सिविल सर्जन डॉक्टर विभा कुमारी ने पटना DM डॉ चंद्रशेखर सिंह को झूठ बोल दिया। कहा कि यहां सिलेंडर आते-जाते रहते हैं। इन्हें दो दिन पहले लाया गया था और अब ऑक्सीजन रिफिलिंग के बाद इन्हें भेज दिया गया है।
एक साल से जंग खा रहे यह 50 सिलेंडर
45 लीटर की क्षमता वाले लगभग 50 ऑक्सीजन सिलेंडर एक साल से यहां पड़े हैं। DHS के कई कर्मियों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर इस बात की पुष्टि की है। यह ऑक्सीजन सिलेंडर धूल मिट्टी में दबे हैं और कुछ खड़े हैं। सिलेंडरों का कैप तक नहीं खुला है और ना ही सिलेंडर से प्लास्टिक निकाली गई है। इसे देख आम आदमी भी अंदाजा लगा सकता है कि सिलेंडर कितने दिनों से जंग खा रहे हैं।
DM ने दिया CS के हवाले से जवाब
सिविल सर्जन, पटना ने DM को कहा कि डीएचएस के स्टोर के पास रखा हुआ खाली सिलेंडर वस्तुतः सभी पीएचसी से 2 दिन के भीतर ही मंगाया गया था जिसे आवश्यकतानुसार डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में भेजा जाना था। इन सिलेंडरों को रिफिलिंग के लिए भेज दिया गया है, जिसे उपयोग किया जाएगा। इस संबंध में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि पीएचपी से सिलेंडर आने की सतत प्रक्रिया है, जिसे रिफिलिंग के उपरांत उपयोग किए जाते हैं।
एक सिलेंडर पर 24 घंटे जिंदा रह सकता है मरीज
जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय के बाहर फेंके गए लगभग 50 ऑक्सीजन सिलेंडरों से हर दिन कई जिंदगियां बचाई जा सकती थी। ऑकसीजन एक्सपर्ट की मानें तो एक सिलेंडर 45 लीटर का है और इससे एक मरीज को 24 घंटे तक जिंदा रखा जा सकता है। अगर 50 सिलेंडर हैं तो 50 लोगों की जान इन सिलेंडरों से 24 घंटे तक तो बचाई जा सकती है। स्वास्थ्य विभाग की मनमानी के कारण कोरोना के संकट काल में भी इन ऑक्सीजन सिलेंडरों का उपयोग नहीं हो पाया है।
बड़ा सवाल : इस झूठ पर माफी या सजा
अब बड़ा सवाल यह है कि एक तरफ जनता की मौत ऑक्सीजन के अभाव में हो रही है। हॉस्पिटल में लोग ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे हैं, सौदागर सांसो का सौदा कर रहे हैं। ऐसे में लगभग 50 सिलेंडर जंग खा रहे हों और चोरी पकड़ने पर झूठ बोला जा रहा हो। ऐसे गंभीर मामले पर जिम्मेदार के झूठ को माफी दी जानी चाहिए या सजा, यह भी जिम्मेदारों को तय करना है। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की मुखिया का यह झूठ मनमानी कई सांसों पर भारी पड़ा है। अब इस मामले में कार्रवाई होगी या फिर क्षमा, यह जिम्मेदारों को तय करना है।