कोरोना के दर में गिरावट आने और स्थित नियंत्रण में होने के बाद से राज्य सरकार एवं आपदा प्रबंधन समूह की हाल ही में बैठक हुयी थी। जिसके अंतर्गत आने वाले महीनो में त्यौहार के संबंध में कुछ ज़रूरी निर्णय लिए गए। जिसमे सबसे पहले, राज्य में इस साल दुर्गा पूजा पर पंडाल लगाने और मूर्तियां प्रतिष्ठापित करने की अनुमति मिली है। लेकिन इसके अंतराल में ही सरकार ने कुछ शर्ते पेश की है।
कोरोना संक्रमण के दर में गिरावट आने के बाद से त्यौहार सार्वजनिक रूप से मनाने की अनुमति तो दे दी गई है। लेकिन उसके साथ ही सरकार ने दुर्गापूजा को लेकर कुछ गाइडलाइन भी जारी किए हैं। जिसके लिए जन सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की शर्तें प्रभावी होंगी। इन शर्तों का पालन पहले पूजा समितियों को करना होगा और उसके बाद दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं से भी करवाना होगा। गाइडलाइन में सबसे पहले यह वर्णित है कि पूजा समिति को पंडाल लगाने से पहले जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होगी, और अनुमति मिलने के बाद जहां-जहां पंडाल बनेंगे, वहां श्रद्धालुओं की एंट्री भी बाकि की शर्तों के आधार पर ही हाेगी। पुरे शहर में जिला प्रशासन को दुर्गा पूजा के लिए तैनात कर दिया गया है।
सरकार के अगले आदेश में यह सख्त रूप से कथित किया गया है कि श्रद्धालुओं को पूजा पंडाल में प्रवेश करने के लिए कोविड-19 टीकाकरण प्रमाण पत्र दिखाना अनिवार्य है। आपदा प्रबंधन समूह के कहे अनुसार, त्योहारों के वक़्त राज्य के बाहर से भी बड़ी संख्या में लोग आतें है। जिसे मद्देनज़र रख यह कहा गया है कि, पूजा के लिए समिति के कार्यकर्ताओं को कोविड-19 टीके की कम से कम पहली खुराक लिया होना आवश्यक है। चूंकि अब राज्य में अनलॉक-7 के तहत सभी जगहों को खोलने और साधारण रूप से चलाने की भी छूट दे दी गई है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग कोई जोखिम नहीं उठाना चाह रही है।
आपको बता दें कि पिछले 2 साल से राज्य में दुर्गा पूजा त्यौहार सार्वजनी तौर से नहीं मनाया जा रहा है। 2019 में पूरा पटना शहर बारिश के पानी में डूबा हुआ था। वहीं पिछले साल 2020 में कोरोना के कारण पंडाल और मूर्ति स्थापनाकर सामूहिक पूजा करने पर रोक थी। केवल मंदिरों में ही साधारण रूप से पूजा के लिए अनुमति दी गई थी। ऐसे में 2 साल तक रुकावटों का सामना करने के बाद आख़िरकार इस साल पंडाल बनने और दुर्गा पूजा पहले की तरह बनाने का उत्साह लोगो में देखने को मिल रहा है।