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बीआरए बिहार विवि भोजपुरी के 25 हजार नये शब्दों के अर्थ लोगों को समझायेगा। एलएस कॉलेज में चलने वाले भोजपुरी विभाग में भोजपुरी का शब्दकोश बनाया जा रहा है। इस शब्दकोश में बिहार के अलावा, झारखंड और ओडिशा के कुछ हिस्सों में बोली जाने वाली भोजपुरी के शब्द शामिल किये जायेंगे। विभागाध्यक्ष प्रो जयकांत सिंह के मुताबिक अब तक 25 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। बाकी काम लगातार किया जा रहा है।

अब तक जितने भोजपुरी के शब्दकोश आये हैं उनमें लगभग 25 हजार शब्द हैं। अब इसमें 50 हजार शब्द वाले भोजपुरी शब्कोश को तैयार किया जा रहा हैं। जो शब्द हमारे आम बोलचाल में घुले हैं, उन्हें खोजकर यह शब्दकोश बनाया जा रहा है। एलएस कॉलेज के भोजपुरी विभाग में भोजपुरी साहित्य का इतिहास भी लिखा जा रहा है। यह इतिहास वर्ष 1980 से बाद भोजपुरी गद्य साहित्य में आये बदलाव और प्रवृत्तियों के बारे में है। विभागाध्यक्ष ने बताया वर्ष 1980 के बाद भोजपुरी साहित्य में कई लेखक सामने आये उनके बारे में अब तक इतिहास में जानकारी नहीं है। इसलिए विभाग ऐसे लेखकों के बारे में जानकारी जुटा रहा है।

डॉ जयकांत सिंह ने बताया कि भोजपुरी के शब्दों के देसज अर्थ होते हैं। खरकटल शब्द का अर्थ कई लोग नहीं समझते हैं। इसे जोड़ा है। इसका अर्थ होता है खाने के बाद जो जूठा कड़ा हो जाता है। रकटल शब्द को भी शब्द कोश में जोड़ा गया है। इसका अर्थ होता है, लालसा है पर वह चीज मिल नहीं रही है। गुमसाइन का लोग अर्थ सभी चीजों में दुर्गंध लगाते हैं पर इसका वास्तविक अर्थ कपड़ों के दुर्गंध से है। भोजपुरी की पहली डिक्शनरी मोतिहारी में वर्ष 1940 में लिखी गयी थी। यह डिक्शनरी एलसेन जोसेफ ने लिखी थी, इसमें 1500 शब्द थे।

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