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Report by Manisha:

संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज प्रारंभिक परीक्षा में अतिरिक्त मौके को चाहने वाले अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिका पर आज यानी 24 फरवरी 2021 सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि इस साल यूपीएससी प्री परीक्षा में भाग लेने के लिए अभ्यर्थियों को एक अतिरिक्त मौका दिया जाएगा या नहीं। सिविल सर्विसेज की प्रारंभिक परीक्षा में अतिरिक्त मौका मांगने वाले अभ्यर्थियों में वे भी शामिल हैं जो कोरोना महामारी के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स की भूमिका में थे।

हालांकि इन अभ्यर्थियों ने महामारी के तनाव के दौरान यूपीएससी परीक्षा में भाग लिया था और अपना आखिरी मौका गंवा चुके थे। अभ्यर्थियों ने इसी महामारी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था ताकि यूपीएससी परीक्षा में शामिल होने का एक अतिरिक्त मौका मिल सके। सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश एएम खान्विलकर, इंदु मल्होत्रा और अजय रस्तोगी की बेंच आज अपना फैसला सुनाएगी। इससे पहले 9 फरवरी को याचिका कर्ता , केंद्र सरकार और यूपीएससी की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। 100 से ज्यादा याचिकाकर्ताओं की संख्या है जिन्हें उम्र या प्रयासों की अधिकतम संख्या के कारण इस साल होने वाली परीक्षा में भाग लेने से रोका जा चुका है। जबकि केंद्र सरकार ने शुरू में याचिका कर्ताओं का विरोध कर कार्रवाही को समाप्त करने की मांग की थी लेकिन केंद्र ने ऐसे अभ्यर्थी को जिन्होंने अपने अधिकतम प्रयासों की संख्या पार कर ली है उनके लिए वन टाइम छूट देना का फैसला लिया था। बता दे कि जो अभ्यर्थियों सामन्य वर्ग के हैं उन्हें 32 वर्ष की आयु तक सिविल सेवा परीक्षा में भाग लेने के लिए छह मौके मिलते हैं। वहीं ओबीसी कैटेगरी के अभ्यर्थियों को 35 वर्ष की आयु तक 9 मौके मिलते हैं और एससी-एसटी के अभ्यर्थियों को 37 वर्ष की आयुत तक असीमित मौके मिलते हैं।

अदालत ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह ऐसे अभ्यर्थियों पर विचार करे जिनकी आयु सीमा पार कर चुकी है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि कोरोना महामारी के दौरान व्यस्त दिनचर्या में परीक्षाओं के लिए ठीक से तैयारी नहीं कर सके थे। पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सु्प्रीम कोर्ट को बताया था कि 34000 छात्र ऐसे हैं जो 2020 की प्रारंभिक परीक्षा में अपना आखिरी प्रयास पूरा कर चुके हैं। ऐसे में यदि इन अभ्यर्थियों को यदि राहत दी जाती है तो प्रारंभिक परीक्षा 2021 में शामिल होने के लिए योग्य हो जाएंगे और इस साल की परीक्षा में भाग लेने वाले अभ्यर्थियों के रास्ते को ब्लॉक करेंगे। ऐसा होने पर अन्य अभ्यर्थी भी मांग करेंगे और फिर यह एक अंतहीन साइकिल बन जाएगा। चुंकि यह मामला नीति निर्धारण का है ऐसे में सरकार के ऊपर छोड़ा गया है कि वह अभ्यर्थियों को कोर्स या आयु के आधार प्रयासों की सीमा तय करे।