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रुक गए संगीत की धुन पर थिरकने वाले पैर, हुआ एक संस्कृति का अंत

संगीत की धुन पर पैरों की थिरकन होती है नृत्य। इसमें थिरकते तो पैर हैं, पर नाचता दिल है। भारत में कई तरह के नृत्य कलाएं हैं और सबका अपना ही एक अलग महत्व है। कथक भी ऐसा ही एक डांस फॉर्म है, जिसका वर्णन महाभारत में भी है। यह नृत्य, कहानियों को बोलने का साधन है। कथक के जरिए देश और विदेशों में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले मशहूर कथक डांसर पंडित बिरजू महाराज (Pandit Birju Maharaj) का दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया है। उन्होंने 83 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।

उनके निधन पर शोक जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने ट्वीटर के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!”

लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाले बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ में हुआ था। उनका असली नाम पंडित बृजमोहन मिश्र था। उन्हें 1983 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। वे कथक नर्तक होने के साथ साथ शास्त्रीय गायक भी थे। उन्होंने देवदास, डेढ़ इश्किया, उमराव जान और बाजी राव मस्तानी जैसी फिल्मों में डांस कोरियोग्राफ करके मील का पत्‍थर साबित किया है।

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