दिल्ली के उपमुख्यम्नत्री मनीष सिसोदिया की हुई गिरफ्तारी. आप सरकार में मंत्री रहते हुए तीसरे मंत्री की गिरफ्तारी। बता दे केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 2021-22 की नई आबकारी नीति लागू करने के मामले में कथित भ्रष्टाचार को लेकर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की है। सबूत मिटाने, खातों में हेरफेर, भ्रष्टाचार, अनुचित लाभ देने और लेने का आरोप लगाया गया है। सीबीआई ने सिसोदिया की गिरफ्तारी से पहले उनसे आठ घंटे पूछताछ की इसके बाद ही कई सवालों के जवाब न मिलने पर उनकी गिरफ्तारी की गई। वहीं सिसोदिया अब आप के ऐसे तीसरे नेता बन गए हैं जो मंत्री रहते गिरफ्तार हुए हैं।

अगर सिसोदिया पर लगे आरोपों की बात करे तो पहला आरोप है की मंत्रियों के एक समूह ने लाभ मार्जिन का पांच प्रतिशत तक सीमित करने की बात कही थी जो मसौदा नीति का सार भी सीबीआई ने पाया था, साउथ लॉबी’ के कहने पर नई आबकारी नीति में शराब के थोक विक्रेताओं के लाभ मार्जिन की सीमा को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया था। ‘साउथ लॉबी’ राजनेताओं और शराब व्यवसावियों का एक समूह है जिसने कथित तौर पर नीति को अपने पक्ष में करा लिया।

और जब भ्रष्टाचार के आरोप लगने शुरू हुए है तो दिल्ली सरकार ने अपनी नई नीति को ही वापस ले लिया और फिर से निजी हाथों की जगह सरकारी निगमों को शराब बिक्री करने की इजाजत दे गई। यानी कि पूरी योजना को ही सरकार ने वापस ले लिया था। इसको लेकर विपक्ष और जोड़ो शोरो से सवाल उठाना शुरू कर दिए है। उनका कहना है की कि जब आबकारी नीति में भ्रष्टाचार नहीं हुआ था तो पूरी योजना क्यों वापस लेने पर सरकार मजबूर हुई। दाल में कहीं न कहीं काला तो है।

बताते चले आबकारी की नई नीति के तहत दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था। 16 विक्रेताओं को पूरी दिल्ली में वितरण का जिम्मा दिया गया था। विपक्षियों का आरोप था कि इसमें भ्रष्टाचार हो रहा है। नई नीति को अदालत में भी चुनौती दी गई। विपक्ष का कहना था कि टेंडर की शर्तों के हिसाब से कॉर्टल यानी दो-तीन कंपनियों को एक करने की मंजूरी नहीं थी।

टेंडर के हिसाब से ब्लैक लिस्टेड कंपनी को अनुमति नहीं थी, लेकिन दिल्ली में एक कंपनी को दो जोन वितरण के लिए दे दिए गए। हालांकि सरकार का कहना है कि नई आबकारी नीति का मकसद भ्रष्टाचार नहीं था। लोगों को उचित प्रतिस्पर्धा के तहत शराब लोगों को मुहैया करानी थी। दिल्ली में शराब माफिया और कालाबाजारी को खत्म करना था। इसके साथ ही सरकार का राजस्व बढ़ाना था। शराब खरीदने वालों की शिकायत भी दूर करनी थी। दिल्ली के उपमुख्यम्नत्री मनीष सिसोदिया की हुई गिरफ्तारी बता दे

तो जिससे दिल्ली सरकार राज्य के भलाई कह कर आगे बढ़ना चाह रही थी। अब वही उनके रास्ते का काटा बन गया है।

बताते चले प्राथमिकी में नामजद 15 व्यक्तियों और संस्थाओं में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का नाम भी शामिल किया गया था। सीबीआई इस मामले में कई नौकरशाह के घर पर छापेमारी की थी। और मनीष सिसोदिया से भी कई बार इस संबंध में पूछताछ की गई थी।

वही आप सरकार में मंत्री रहते हुए सबसे पहले जितेंद्र तोमर की गिरफ्तारी हुई थी। उन्हें वर्ष 2015 में फर्जी डिग्री के मामले में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ भाजपा नेता नंदकिशोर गर्ग ने शिकायत की थी जो की उस समय कानून मंत्री थे।इसके अलावा मंत्री कैशला गहलोत के खिलाफ बस खरीद मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।