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अमेरिकी ट्रेजरी विभाग (US Department Of Treasury) ने भारत को अपनी करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट (Currency Monitoring List) से बाहर कर दिया है। भारत के अलावा अमेरिका ने इटली, मैक्सिको, वियतनाम और थाईलैंड को भी इस सूची से बाहर कर दिया है। यह कदम उस दिन आया जब ट्रेजरी के सचिव जेनेट येलेन ने भारत का दौरा किया और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बातचीत की।

इसमें कहा गया है कि जिन देशों को सूची से हटा दिया गया है, वे लगातार दो बार तीन मानदंडों में से केवल एक को पूरा कर पाए हैं। गौरतलब है कि किसी देश की फॉरेन एक्सचेंज पॉलिसी पर संदेह होने पर अमेरिका उसे निगरानी सूची में डाल देता है। ट्रेजरी विभाग ने कांग्रेस को अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट में कहा कि चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान वर्तमान निगरानी सूची का हिस्सा हैं।

भारत पिछले दो साल से अमेरिका की करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट में था। अमेरिका अपने प्रमुख भागीदारों की मुद्रा पर निगरानी के लिए यह लिस्ट तैयार करता है। इस व्यवस्था के तहत प्रमुख व्यापार भागीदारों की मुद्रा को लेकर गतिविधियों तथा वृहत आर्थिक नीतियों पर करीबी नजर रखी जाती है। उन देशों को निगरानी सूची में रखा जाता है, जिनकी फॉरेन एक्सचेंज रेट पर उसे शक होता है। यूएस ट्रेजरी विभाग वॉचलिस्ट पर एक व्यापारिक भागीदार को सूचीबद्ध करता है यदि उस तथाकथित देश ने 12 महीने की अवधि में अपने GDP के 2 प्रतिशत से अधिक स्तर तक मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया, और करंट अकाउंट सरप्लस GDP का 2 प्रतिशत और अमेरिका के साथ व्यापार सरप्लस था।

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