metaverse

सोशल डिस्टेंसिंग ने जहाँ लोगो को दूर कर दिया था, वहीं ऑनलाइन दुनिया लोगों को करीब लेकर आयी है। आने वाले 10 सालों में हम घर बैठे किसी और जगह मौजूद रह सकते हैं, हम दूर बैठे अपनों से मिल सकते हैं, जो इस दुनिया में नहीं हैं उससे भी दोबारा मिल सकते हैं और ये सब मुमकिन होगा मेटावर्स की दुनिया में। मेटावर्स एक तरह की आभासी दुनिया है जिसमें रियल वर्ल्ड और विर्चुअल वर्ल्ड के बीच की दूरी ख़त्म हो जाती है। यह एक ऐसी काल्पनिक दुनिया है जिसे की तैयार किया गया है AI टेक्नॉलजी से।

मेटावर्स को लोगों तक पहुंचाने की कई बड़ी टेक कंपनियां कोशिश कर रहीं हैं, जिसमें से एक फेसबुक भी है। फेसबुक की मालिक कंपनी ने हाल ही में अपना नाम बदलकर मेटा कर लिया है, जिसके पीछे कारण ये बताया जा रहा है की वो खुद को एक सोशल मीडिया की कंपनी से बदलकर एक मेटावर्स की कंपनी करना चाह रही है। फेसबुक ने ना सिर्फ अपना नाम बदला है बल्कि पूरी इंटरनेट की दुनिया को ही बदलने की दिशा में एक कदम उठाया है। मेटावर्स की दुनिया मेें माइक्रोसॉफ्ट भी शानदार काम कर रहा है। माइक्रोसॉफ्ट ने साल 2021 में मेश ऐप को लांच किया था, जिसमें जबरदस्त होलोग्राफिक रेंडरिंग देखने को मिलती है।

मेटावर्स वर्ड दो शब्दों से मिलकर बना है, एक मेटा और दूसरा वर्स। मेटा का मतलब होता है बियॉन्ड यानी किसी चीज़ के पार। वहीं, वर्स शब्द आया है यूनिवर्स से, जिसका मतलब होता है ब्रह्मांड। यानी की मेटावर्स का मतलब होता है हकीकत से आगे की दुनिया, एक ऐसी दुनिया जो हमारे सोच से परे है, जो हमारे सोच से भी आगे है। मेटावर्स शब्द का यूज सबसे पहले एक राइटर नील स्टीफेन्सन ने की थी। साल 1992 में साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेन्सन ने एक उपन्यास लिखा था, जिसका नाम था ‘स्नो क्रैश।’ इस उपन्यास में लेखक ने इंटरनेट की ऐसी दुनिया की कल्पना की थी, जिसमें इंसान घर बैठा रहे लेकिन उसकी थ्री डी इमेज दुनिया में कहीं भी पहुंच जाए।

मेटावर्स को इंटरनेट का अपडेटेड वर्जन माना जा रहा है। आज हम इंटरनेट के माध्यम से वीडियो कॉल पर बात करते हैं लेकिन मेटावर्स की मदद से हम उनसे दूर होकर भी आमने-सामने बात कर सकते हैं। हम उन्हें 3डी फॉर्मेट में छू सकते हैं, उनसे हाथ मिला सकते हैं, यानी की सब कुछ हम एकदम रियल की तरह फील कर सकते हैं। हालाँकि, मेटावर्स की ये दुनिया तैयार होने में करीब एक दशक का समय लग सकता है, लेकिन कई जगहों पर इसे लेकर प्रयोग किये जा रहें हैं। दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में कई निजी कंपनियां इसकी तैयारी कर रही है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से सियोल में एक महिला की मुलाकात उसकी बेटी से भी करवाई गयी जिसकी मृत्यु हो चुकी थी। इस महिला ने वर्चुअल वर्ल्ड में प्रवेश किया, यहाँ उसने अपनी बेटी के वर्चुअल अवतार को छूकर महसूस किया था और उससे बात भी की थी।

मेटावर्स एक ऐसी टेक्निक है, जिसकी मदद से इंटरनेट की दुनिया तैयार हो रही है। इस मेटावर्स की दुनिया में आप जब चाहे अपने अवतार को बदलकर मनचाही दुनिया की सैर कर सकते हैं। यहाँ अवतार का मतलब होता है असली लोगों के 3D रिप्रजेंटेशन। हालाँकि इस दुनिया में छलांग लगाने के लिए आपको कुछ टूल्स की ज़रूरत होगी जिसमें से एक है वर्चुअल रियलिटी हेडसेट। ये हैडफ़ोन के तरह की एक डिवाइस है, जिसे आँखों और कानों में फिट किया जाता है। इसे ऑपरेट करने के लिए कंप्यूटर, लैपटॉप या फिर स्मार्टफ़ोन ही काफी है।

ये मेटावर्स, एक तरह से सोशल मीडिया प्लेटफार्म और असल दुनिया के बीच का रूप है। जैसे हम सोशल मीडिया पर रोज़ लोगों को देखते हैं, वैसे ही मेटावर्स में भी देख सकेंगे, लेकिन फर्क सिर्फ इतना होगा की हम उस दुनिया के अंदर मौजूद होंगे। आने वाले समय में ये मेटावर्स लोगों के लिए एक बहुत बड़ा बिजनेस प्लेटफॉर्म भी बनने वाला है। कपड़ों, जूतों के कई बड़े ब्रांड्स मेटावर्स की दुनिया में कदम रखने की प्लानिंग कर रही है। इस दुनिया में आप अपनी पसंद की कोई भी चीज़ खरीद सकते हैं।

मेटावर्स अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है फिर भी ये पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। भारत में भी इसका क्रेज बढ़ रहा है। दलेर मेहंदी जहाँ मेटावर्स में परफॉर्म करने वाले भारत के पहले गायक बन गए हैं, तो वहीं बॉलीवुड फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ मेटावर्स में अन्नोउंस होने वाली भारत की पहली फिल्म बन गई है। इतना ही नहीं, इस मेटावर्स का इस्तेमाल कर तमिलनाडु के एक दूल्हा और दुल्हन ने शादी भी की है। उन्होंने अपनी शादी का रिसेप्शन मेटावर्स पर रखा जहाँ दुल्हन के मृत पिता भी वर्चुअल अवतार में आशीर्वाद देने के लिए मौजूद थें। आने वाले समय में ये मेटावर्स बहुत क्रांति लाएगा।

Join Telegram

Join Whatsapp