नेपाल के इतिहासकार और सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले साहित्यकार, सत्य मोहन जोशी (Satyamohan Joshi) का निधन हो गया है। वह 103 साल के थे और उन्हें निमोनिया, डेंगू और दिल की समस्याओं का पता चला था। उनका 23 सितंबर से प्रोस्टेट और हृदय संबंधी बीमारियों का इलाज चल रहा था और 10 अक्टूबर को उनकी स्थिति में सुधार नहीं होने पर उन्हें ICU में ट्रांसफर कर दिया गया था। बहुत कोशिशों के बाद भी वह नहीं रहे।
भारतीय दूतावास काठमांडू ने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए लिखा, “भारतीय दूतावास काठमांडू ने नेपाल के साहित्यकार शताब्दी पुरुष श्री सत्य मोहन जोशी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता है। उनके कार्यों के माध्यम से उनकी विरासत प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।”
उनका जन्म 1919 में पाटन,नेपाल में हुआ था। उन्होंने नाटक, संस्कृति, इतिहास और संगीत पर कुल 60 से भी अधिक पुस्तकें लिखीं हैं। उनका कला और संस्कृति में काफी योगदान रहा है। उन्होंने नेपाली संस्कृति और कला को बनाए रखने के लिया अपने प्रयास से राष्ट्रीय नाच घर की स्थापना की। कीर्तिपुर, काठमांडू में भी उन्होंने अरानिको व्हाइट डगोबा गैलरी स्थापना की और प्राचीन नेपाल के वास्तुकार अरानिको से जुड़ी ऐतिहासिक कलाकृतियों का उपयोग करते हुए, चीन के व्हाइट पैगोडा का निर्माण किया।
सितम्बर 2019 में उनके 100वें जन्मदिन पर नेपाल राष्ट्र बैंक (NRB) ने ₹100, ₹1,000 और ₹2,500 के मूल्यवर्ग के तीन नए सिक्के जारी किए, जिसमें जोशी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में उनके चित्र को दर्शाया गए। पिछले साल,17 नवंबर को जोशी नेपाल के इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति रहे। नेपाल की सांस्कृतिक विविधता के बारे में जोशी का ज्ञान काफी गहरा था। सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में कई विशेषज्ञों ने उन्हें बुलाया। इतिहास और संस्कृति के क्षेत्र में वह एक कलाप्रवीण व्यक्ति थे। उनको और उनकी कला को आज ही नहीं बल्कि आगे भी याद किया जाएगा।