पिछले कुछ सालों से श्रीलंका जिस आर्थिक संकट में घिरता दिख रहा था, वो अब भयावह रूप ले चुका है और दिवालिया होने की कगार पर है। मुद्रास्फीति का रिकॉर्ड स्तर, खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल और कोरोना महामारी से पैदा हुई परेशानियों के कारण देश के खजाने सूख रहे हैं। हालात यहां तक खराब हो चुके हैं कि इस देश के इस साल दिवालिया होने की आशंका है।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश को अगले 12 महीनों में घरेलू और विदेशी ऋणों में अनुमानित 7.3 अरब डॉलर चुकाने की जरूरत है। देश के केंद्रीय बैंक की ओर से की गई घोषणा के अनुसार, दिसंबर खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति एक महीने पहले 17.5 प्रतिशत से बढ़कर 22.1 प्रतिशत हो गई है। इसके अलावा कोरोना संकट के कारण देश का टूरिज्म सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ। साथ ही सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और टैक्स में कटौती ने हालात को और बदतर बना दिया। वहीं चीन का कर्ज चुकाते-चुकाते श्रीलंका की कमर टूट चुकी है। इन बड़ी परेशानियों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के सामने देश में आर्थिक मंदी के खतरे को और भी बढ़ा दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व बैंक (World Bank) का अनुमान है कि महामारी की शुरुआत से 5,00,000 लोग गरीबी रेखा से नीचे आ गए हैं, जो गरीबी से लड़ने में किए गए पांच साल की प्रगति के बराबर है।