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कोरोना के चलते बैकफुट पर सरकार! सात साल में पहली बार मंत्रियों, BJP-RSS नेताओं को नहीं सूझ रहा जवाब

देश में कोरोना से उपजे हालात को लेकर जहां केंद्रीय मंत्री नेतृत्व के खिलाफ बोलने से बचते दिखे, तो वहीं संघ नेता और पार्टी कार्यकर्ताओं ने उजागर की सरकार की कमियां।

भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर के बीच नए केसों और मौतों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। पिछले चार दिनों से देश में लगातार 4 लाख के ऊपर केस आ रहे हैं, जबकि मौतों का आंकड़ा भी चार हजार के पार जा चुका है। इन हालात के चलते 2014 से लेकर अब तक यह पहला मौका है, जब भाजपा और आरएसएस पूरी तरह बचाव की मुद्रा में हैं। संगठन अब तक इसे लेकर भी अनिश्चित है कि लोगों से कोरोना की दूसरी लहर के बारे में कैसे बात करे।

भाजपा और संघ में मौजूदा समय में इस बात पर सहमति है कि कोरोना का डर इस वक्त हर परिवार को छू चुका है और लोगों को किसी भी तरह यकीन दिलाने में काफी मेहनत और उपलब्दि दिखाने की जरूरत पड़ेगी। इसी के मद्देनजर पार्टी और संघ में कुछ आवाजें सरकार की कोरोना से निपट रही टीम में बदलाव की भी अटकलें लगा रही हैं, ताकि कोरोना फ्रंट पर कदम उठाए जा सकें।

द संडे एक्सप्रेस ने कोरोना से बिगड़ती स्थिति और सरकार की प्रतिक्रिया में हो रही देरी पर केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा-संघ के कार्यकर्ताओं से बात की। इसमें सभी की तरफ से साझा चिंता कोरोना की लहर के अचानक और अप्रत्याशित तौर पर आने को लेकर जताई गई। जब उन्हें बताया गया कि मुंबई में फरवरी के मध्य में तेज लहर आई थी, इसमें सरकार को ऑक्सीजन की कमी से लेकर कोरोना के नए स्वरूप के लेकर चेतावनी मिली थी और सरकार के पास तैयारी का समय भी था। इस पर नेताओं का कहना था कि किसी ने भी इतनी खतरनाक लहर की उम्मीद नहीं की थी।

कम ही नेता इस बारे में चर्चा करना चाहते हैं कि केंद्र ने किस तरह स्थिति की गलत समीक्षा की। यहां तक कि ज्यादातर नेता तो नेतृत्व की गलती मानने से भी बचते दिखे। हालांकि, सरकार की तरफ से अब तक साधी गई चुप्पी पर एक केंद्रीय मंत्री ने कहा, “सरकार की तरफ से लोगों को यकीन दिलाने वाली आवाज उठनी जरूरी है। यह पूरी स्थिति चुनौतीपूर्ण है।” एक अन्य केंद्रीय मंत्री ने कहा, “इस लहर ने हमें चौंकाया है।”

एक और मंत्री ने कहा, “अचानक से ही कोरोना केस ऊंचाई पर पहुंच गए। आज देश में हर परिवार में डर है।” एक चौथे मंत्री ने कहा, “कई बार अनपेक्षित चीजें हो जाती हैं। इन हालात में हर योजना कम पड़ रही है। थोड़ा हताशा का भाव है…थोड़ी ढिलाई हुई…लेकिन जनता ने भी ढिलाई की। उन्होंने पहली लहर के बाद मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपीलों को नहीं माना।” हालांकि, मंत्री ने यह भी कहा कि इस वक्त वे लोग सरकार को बदनाम करने की कोशिशें कर रहे हैं, जो हर नीति के लिए सरकार पर हमला करते हैं।

एक अधिकारी ने कहा, “पिछले साल वे कहते थे कि कोरोना के समय में लॉकडाउन सबसे बुरी चीज हुई। अब वे कह रहे हैं कि आपको लॉकडाउन की जरूरत है। पहले उनका कहना था कि वैक्सीन को खुले बाजार में दीजिए। इन्हें प्राइवेट सेक्टर को दें। अब वे कह रहे हैं कि वैक्सीन फ्री होनी चाहिए।”

हालांकि, एक अन्य मंत्री ने कहा कि सरकार की तरफ से अब जनता को विश्वास में लिए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “कुछ लोग हमेशा हमारे खिलाफ रहेंगे, लेकिन कुछ निष्पक्ष लोग भी हैं। डर और किसी करीबी को गंवा देने का गुस्सा किसी को भी हो सकता है। यह वो समय नहीं है, जब सारी आलोचना को प्रेरित माना जाए। लोगों को विश्वास में लेना जरूरी है।”

इस पर एक अन्य मंत्री का कहना है कि राजनीतिक स्तर पर किसी के बोलना इस वक्त इतना प्रभावी नहीं होगा। मंत्री ने कहा, “बोलने से चिढ़ मचेगी पब्लिक में अभी। लोगों को नतीजे चाहिए, भाषण नहीं।”

जहां भाजपा के नेता सरकार के खिलाफ बयान देने में झिझकते नजर आए, वहीं पार्टी और संघ के कुछ अन्य नेता इस पर ज्यादा स्पष्ट दिखे। भाजपा के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने कहा, “सरकार हर कोशिश कर रही है, लेकिन एक ठोस राजनीतिक संदेश देने में कमजोर पड़ रही है। सरकार को नतीजे देने के लिए अपनी टीम बदलाव करने की जरूरत है।”

एक अन्य संघ नेता ने दूसरी लहर का अंदाजा न लगा पाने और समस्याओं से घिरने के पीछे केंद्रीय नेतृत्व के फैसलों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “पीएमओ में ज्यादा ही केंद्रीयकृत काम है और बड़ी दिक्कत प्रधानमंत्री को मिलने वाले फीडबैक की गुणवत्ता है। प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइज का कहना है कि वे दूसरी लहर नहीं देख पाए और कह रहे हैं कि तीसरी लहर भी आएगी।”

संघ नेता ने कहा कि इसमें जवाबदेही का सवाल भी खड़ा होता है। क्या नेतृत्व में मौजूद लोगों की जवाबदेही तय करने का कोई ढांचा है। मुझे लगता है कि वहां नंबर वन (प्रधानमंत्री) को खुश करने की प्रवृत्ति है। हालांकि, भाजपा के एक मुख्यमंत्री का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व लगातार स्थिति को ठीक करने की कोशिश में जुटा है। उन्होंने कहा कि पीएम ने सभी मुख्यमंत्रियों को मध्य-मार्च में ही चेतावनी दे दी थी। लेकिन यह एक अप्रत्याशित स्थिति है और हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, रेल मंत्री सभी की प्रतिक्रियाएं तेज रही हैं।

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