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बजाज के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज (Rahul Bajaj) का शनिवार को पुणे में निधन हो गया। वे 83 साल के थे। बजाज लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। वे पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें निमोनिया था और दिल की भी समस्या थी। राहुल बजाज ने दोपहर 2.30 बजे आखिरी सांस ली है। इस दौरान उनके परिवार के करीबी सदस्य उनके पास मौजूद थे।

10 जून, 1938 को कोलकाता में मारवाड़ी बिजनेसमैन कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज के घर जन्में राहुल बजाज बेबाकी के साथ अपने बयान रखने के लिए जाने जाते थे। राहुल बजाज जब कंपनी के फैसले को लेकर सहमत नहीं थे, तो उन्होंने परिवार के खिलाफ सार्वजनिक मंच से अपनी शिकायतें जाहिर की थीं। यही नहीं, सरकार के खिलाफ भी वो बोलने से बिल्कुल नहीं हिचकते थे।

उनकी कामयाबी सिर्फ व्यापार क्षेत्र तक सीमित नहीं थी, बल्कि वह समाज के बड़े तबके को आत्मसम्मान की अनुभूति कराने वाले नायक के तौर पर हमेशा याद किए जाएंगे। राहुल बजाज ने 1965 में बजाज ग्रुप की जिम्मेदारी संभाली थी। उनकी अगुआई में बजाज ऑटो का टर्नओवर 7.2 करोड़ से 12 हजार करोड़ तक पहुंच गया और यह स्कूटर बेचने वाली देश की अग्रणी कंपनी बन गई। वे 50 साल तक बजाज ग्रुप के चेयरमैन रहे। 2005 में राहुल ने बेटे राजीव को कंपनी की कमान सौंपनी शुरू की थी। तब उन्होंने राजीव को बजाज ऑटो का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया था, जिसके बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कंपनी के प्रोडक्ट की मांग न सिर्फ घरेलू बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ गई।

राहुल बजाज का हौसला उन्हें बड़ा उद्योगपति तो बनाता है लेकिन निडरता उन्हें एक बहादुर इंसान बनाती है। वह बिना डरे बेबाकी से अपनी बात रखते थे फिर चाहें सामने सरकार हो या कोई बड़ी हस्ती। नवंबर 2019 में एक मीडिया संस्थान के मुंबई में हुए कार्यक्रम में इसका नमूना भी दिखा था जब गृहमंत्री अमित शाह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के सामने उन्होंने सरकार पर सवाल उठाये थे। राहुल बजाज ने कहा था, यह भय का वातावरण, निश्चित रूप से हमारे मन में है। आप (सरकार) अच्छा काम कर रहे हैं और इसके बावजूद, हमें यह विश्वास नहीं है कि आप आलोचना की सराहना करेंगे।

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