आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने बुधवार 8 जून को रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट (basis point) की बढ़ोतरी की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद बैंक ग्राहकों को जोरदार झटका लगा है। क्योंकि अब होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन की EMI में काफी बढ़ोतरी हो सकती है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया, केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति सीमित ने सर्वसम्मति से रेपो दर 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाने के लिए मतदान किया और अब यह दर 4.90 फ़ीसदी हो गई है।
महंगाई से परेशान लोगों को अब भारतीय रिजर्व बैंक ने एक और महंगाई की मार दी है। महंगाई में इजाफा करते हुए आरबीआई ने रेपो रेट को 4.40% से बढ़ाकर 4.90% कर दिया है। बता दें, ब्याज दरों पर फैसले के लिए 6 जून से मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की मीटिंग चल रही थी आरबीआई गवर्नर श्रीकांत दास ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्याज दरों के लिए फैसलों की जानकारी दी। गवर्नर ने बताया, रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत किया है। पहले मुद्रास्फीति 5.7% के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया गया था। आरबीआई ने चालू वित्तीय वर्ष 2022 23 में आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2% पर बरकरार रखा है।
अब आपको बताते हैं रेपो रेट के बढ़ने से EMI पर क्या असर पड़ेगा। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई से बैंकों को कर्ज मिलता है। जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं। जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है। जब आरबीआई रेपो रेट घटाता है, तो बैंक भी ज्यादातर समय ब्याज दरों को कम करते हैं। यानी ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें कम होती है। साथ ही ईएमआई घटती है। इसी तरह जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा हो जाता है। क्योंकि कमर्शियल बैंकों को केंद्रीय बैंक से उच्च कीमतों पर पैसा मिलता है जो उन्हें दरों को बढ़ाने के लिए मजबूर करता है।