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जानें कौन होगा देश का अगला चीफ जस्टिस, एन वी रमणा ने की इनके नाम की सिफारिश

देश को नया चीफ जस्टिस मिलने वाला है। जस्टिस उदय उमेश ललित (Uday Umesh Lalit) 27 अगस्त को भारत के 49वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के रूप में पदभार ग्रहण करने के लिए तैयार हैं। भारत के वर्तमान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन वी रमणा (NV Ramana) ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में उनके नाम की सिफारिश की है। एन वी रमणा 26 अगस्त को रिटायर होने वाले हैं।

ललित का कार्यकाल तीन महीने से कम का होगा। उनका कार्यकाल छोटा है और वह 8 नवंबर, 2022 तक इस पद पर बने रहेंगे। CJI ने पर्सनली अपने लेटर ऑफ़ रिकमेन्डेशन की कॉपी जस्टिस ललित को सौंपी। उन्होंने इसे आगे के विचार के लिए कानून और न्याय मंत्रालय को भी भेज दिया। जस्टिस एसएम सीकरी (SM Sikri) के बाद वह बार से सीधे ऊपर उठने वाले दूसरे जज हैं जो आगे चलकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनेंगे। सीकरी 1971 और 1973 के बीच CJI थे।

जस्टिस ललित, जिनका जन्म 9 नवंबर, 1957 को हुआ था, ने जून 1983 में अपना कानूनी करियर शुरू किया और दिसंबर 1985 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में काम किया। बाद में वे दिल्ली चले गए। ललित को सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2004 में एक वरिष्ठ वकील के रूप में नियुक्त किया था। वह पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी के साथ भी काम कर चुके हैं। बार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए सिफारिश किए जाने से पहले ललित ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के लिए स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर के रूप में कार्य किया। उन्हें 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया गया था। जस्टिस ललित कई बड़े फैसलों का हिस्सा रहे हैं। 22 अगस्त 2017 को 3 तलाक की व्यवस्था को असंवैधानिक करार देने वाली 5 जजों की बेंच के वह भी एक सदस्य थे। इसके अलावा हाल ही में जस्टिस ललित ने अवमानना के मामले में भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को 4 महीने की सज़ा सुनाई थी।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की नियुक्ति के लिए एक प्रोसीजर से होकर गुजरना पड़ता है। उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाले मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के अनुसार, निवर्तमान CJI कानून मंत्रालय से संचार प्राप्त करने के बाद उत्तराधिकारी के नामकरण की प्रक्रिया शुरू करते हैं। CJI अपने उत्तराधिकारी के रूप में सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश की सिफारिश करते हैं। इसके बाद कानून मंत्री, प्रधानमंत्री को प्रधान न्यायाधीश की सिफारिश भेजते हैं, जो ऐसी नियुक्तियों पर राष्ट्रपति को सलाह देते हैं।

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