भारतीय नौसेना को जिस स्वदेशी महाबली INS का इंतजार था, आज वो भारतीय नौसेना में शामिल हो चूका है। भारत का पहला विमानवाहक पोत ‘INS विक्रांत’ नौसेना में आज शामिल हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे 2 सितंबर, शुक्रवार को देश को समर्पित किया। इस महाबली INS विक्रांत के भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद भारत उन देशों के एलीट समूह में शामिल हो जाएगा, जो एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने में सक्षम हैं।
फिलहाल, इन देशों की सूची में अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और चीन का ही नाम शामिल है। इसके साथ ही यह दुनिया का 7वां सबसे बड़ा कैरियर होगा। साथ ही ये महाबली कई बेहतरीन और अद्भुत उपकरणों लबालब है। आकार, प्रकार और रफ्तार की बात करें तो ‘INS विक्रांत’ 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ। INS विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। इस लिहाज से इसके फ्लाइट डेक का आकार फुटबॉल के दो मैदानों के बराबर हो जाता है।
यह वाहक एक 28 नॉट्स की अधिकतम रफ्तार के साथ एक बार में 7 हजार 500 नॉटिकल मील यानी करीब 14 हजार किमी की दूरी तय कर सकता है। साथ ही आपको बता दें कि भारत के समुद्री इतिहास में देश में तैयार हुआ यह पहला इतना विशाल जहाज है। जिसका नाम भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के नाम पर ही रखा गया है, जिसने 1971 में हुए पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।
यह महाबली न केवल ऊपर से बड़ा और अद्भुद दीखता है, बल्कि ये अंदर से भी काफी मजबूत और बड़ा है। इसमें क्रू के लिए काफी खास व्यवस्था के साथ महिलाओं के लिए भी खास इंतजाम किये गए हैं। इस विशाल महाबली जहाज में कुल 18 फ्लोर हैं, जिनमें 2400 कंपार्टमेंट्स का निर्माण हुआ है। यहां 1600 स्ट्रॉन्ग क्रू रह सकती है। इसमें महिलाओं की जरूरतों के हिसाब से खास कैबिन बनाए गए हैं।
खास बात यह है कि INS विक्रांत को कई आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है। जिसमें से एक किचन भी है। जिसमें मौजूद एक यूनिट प्रति घंटा 3 हजार रोटियां तैयार कर सकती है। साथ ही इसके मेडिकल कॉम्प्लैक्स में आधुनिक ऑपरेशन थिएटर के साथ 16 बिस्तर मौजूद हैं। साथ ही यहां फिजियोथैरेपी क्लीनिक, आईसीयू, पैथोलॉजी, सीटी स्कैनर और एक्स-रे मशीनों के साथ रेडियोलॉजी विंग, डेंटल और आइसोलेशन सुविधाएं भी मौजूद कराई गयी हैं।
स्वदेशी INS विक्रांत पर 30 विमानों का समूह रह सकता है। जिसमें मिग-29 के लड़ाकू विमान, कामोव-31 हेलीकॉप्टर्स, एमएच-60 आर मल्टी रोल हेलीकॉप्टर्स और हल्के लड़ाकू विमान शामिल हैं। समुद्र में दुश्मनों को डुबोने के लिए इस कैरियर पर ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात हो सकेगी। यह एक मिडियम रेंज मिसाइल है, जिसे सबमरीन, जहाज, कैरियर या धरती से भी लॉन्च किया जा सकता है।
सुरक्षा के लिहाज से देखा जाये तो INS विक्रांत को इस प्रकार बनाया गया है कि समंदर में ये दुश्मनों को तो डुबोयेगा साथ ही जवानों को सुरक्षित भी रखेगा। जिसके लिए इसमें कैरियर एंटी सबमरीन वॉरफेयर, एंटी सर्फेस, एंटी एयर वॉरफेयर जैसे कई आधुनिक सिस्टम से लैस है। इनकी मदद से यह आसपास आने वाले खतरों को आसानी से भांप सकता है और उनका मुंहतोड़ जवाब दे सकता है।
वहीं भारतीय नौसेना से मिली जानकारी के अनुसार इसके निर्माण में 76 फीसदी स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल हुआ है। 20 हजार करोड़ रुपये में INS विक्रांत को तैयार करने में 2 हजार सीएसएल कर्मी और अप्रत्यक्ष रूप से 13 हजार अन्य लोग भी शामिल रहे। और INS विक्रांत के फ्लाइट ट्रायल्स नवंबर तक शुरू हो जाएंगे। यह कैरियर साल 2023 के मध्य तक संचालन के लिए पूरी तरह तैयार कर लिया जायेगा।