neena gupta

प्राचीन काल से हीं भारत और मैथ्स के बीच, एक अटूट रिश्ता रहा है। भारत में कई ऐसे लोग हुए हैं जिन्हें मैथ्स ने कभी परेशान नहीं किया बल्कि इसके उलट वे मैथ्स के नंबर्स से दिल खोलकर खेले और बड़ी-बड़ी उपलब्धियां भी हासिल कीं। इनमें से आर्यभट्‍ट, रामानुजन, सी आर राव, आदि शामिल हैं। भारत में अब तक की सबसे प्रसिद्ध महिला गणितज्ञ जहाँ शकुंतला देवी को माना गया है, तो वहीं अब इस सूचि में नीना गुप्ता (Neena Gupta) का नाम भी शामिल हो गया है। ये एक मैथ्स की प्रोफेसर हैं, जिन्हें रामानुजन पुरस्कार से नवाज़ा गया है।

कोलकाता स्थित भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute) में मैथ्स की प्रोफेसर नीना गुप्ता ने रामानुजन पुरस्कार जीता है। ये पुरस्कार विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों के लिए है। उन्हें ये पुरस्कार algebraic geometry और commutative algebra के लिए दिया गया है। उनका काम प्रभावशाली algebric कौशल को दर्शाता है। उनके सलूशन को ‘हाल के वर्षों में कहीं भी किए गए algebric geometry में सबसे अच्छे कामों में से एक’ के रूप में बताया गया है।

इस पुरस्कार से पहले गुप्ता को 2019 में साइंस और टेक्नोलॉजी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। 2014 में, नीना को Indian National Science Academy से ‘यंग साइंटिस्ट’ पुरस्कार मिला। इसके अलाव उन्होंने 70 साल पुरानी गणित की पहेली, जिसे Zariski की Cancellation Problem कहा जाता है, को भी सफलतापूर्वक हल किया है। खालसा हाई स्कूल, की छात्रा नीना ने बहुत कम उम्र से ही मैथ्स को अपना मान लिया था। उन्होंने बेथ्यून कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और Indian Statistical Institute से पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी की डिग्री हासिल की, जहां वो जल्द ही एक फैकल्टी मेमंबर के रूप में शामिल हो गईं।

रामानुजन पुरस्कार हर साल एक प्रख्यात गणितज्ञ को दिया जाता है, जिनकी उम्र पुरस्कार दिए जाने वाले वर्ष के 31 दिसंबर को 45 वर्ष से कम हो और जिन्होंने विकासशील देशों में एक्सीलेंट रिसर्च का काम किया हो। प्रोफेसर गुप्ता रामानुजन पुरस्कार प्राप्त करने वाली तीसरी महिला हैं। अब तक ये पुरस्कार चार भारतीयों को दिया जा चूका है। जिन चार भारतीयों को ये पुरस्कार दिया गया है, उनमें से तीन नीना की तरह, Indian Statistical Institute के हीं फैकल्टी मेमंबर हैं।

इस पुरस्कार का नाम भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन् के नाम पर रखा गया है, जिसे ICTP, IMU और भारत सरकार के Science and Technology विभाग द्वारा संयुक्त रूप से प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार की शुरुआत 2004 में हुई थी, जिसे सबसे पहली बार 2005 में प्रदान किया गया था। 2005 में इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाला पहला व्यक्ति, ब्राज़ील का एक गणितज्ञ Marcelo Viana हैं।