भारतीय रेलवे ने आज आधुनिक तकनीक ‘कवच’ का सफल परीक्षण किया है। जो भारतीय रेलवे के सुरक्षा इतिहास में एक नया आयाम जुड़ा है। शुक्रवार, 4 मार्च को दो ट्रेनों को चंद मीटर के फासले से एक ही पटरी पर एक दूसरे से भिड़ने से रोक दिया। बता दें कि इस परीक्षण के दौरान तरीन में खुद केंद्रीय रेल मंत्री शामिल थे। दरअसल यह रेलवे की नई स्वदेशी सुरक्षा तकनीक है जिसका नाम ‘कवच’ है। और आज इसी स्वदेशी तकनीक का परीक्षण के दम पर दोनों ट्रेनों के भिड़ंत को रोका जा सका।
इतिहास के पन्नों में दर्ज हुए आज के दिन का साक्षी खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव बने। स्वदेशी ‘कवच’ ने सामने से आ रही ट्रेन की भिड़ंत से पूर्व रेल मंत्री की ट्रेन को 380 मीटर पहले ही रोक दिया। तेलंगाना के सिकंदराबाद में ट्रेनों के बीच ‘कवच’ का परीक्षण किया गया। एक ट्रेन के इंजन पर रेल मंत्री वैष्णव सवार थे तो सामने से आ रही दूसरी ट्रेन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन व अन्य बड़े अधिकारी। जिसका परीक्षण सनतनगर-शंकरपल्ली खंड पर किया गया।
इस स्वदेशी ‘कवच’ की जानकारी खुद Railway Of Ministry ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर के दी है। रेल मंत्रालय की ओर से जारी इस परीक्षण के वीडियो में साफ़ देख जा सकता है कि कैसे ट्रैन एकदूसरे के सामने आते ही खुद-ब-खुद रुक जाती है।
क्या है ये स्वदेशी ‘कवच’ ?
- यह स्वदेश में विकसित स्वचलित ट्रेन सुरक्षा (Automatic Train Protection) प्रणाली है।
- एक ट्रेन को स्वत: रोकने के लिए ‘कवच’ का निर्माण किया गया है।
- डिजिटल सिस्टम को रेड सिग्नल या फिर किसी अन्य खराबी दिखती है, तो इस तकनीक से संबंधित मार्ग से गुजरने वाली ट्रेन खुद रुक जाती है।
- इस तकनीक में जब ऐसे सिग्नल से ट्रेन गुजरती है, जहां से गुजरने की अनुमति नहीं होती है तो इसके जरिए खतरे वाला सिग्नल भेजा जाता है।
- लोको पायलट अगर ट्रेन को रोकने में विफल साबित होता है तो फिर ‘कवच’ तकनीक के जरिए अपने आप ट्रेन के ब्रेक लग जाते हैं और हादसे से ट्रेन बच जाएगी।
- कवच तकनीक हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन पर काम करती है।
- यह SIL-4 (सिस्टम इंटिग्रेटी लेवल-4) की भी पुष्टि करती है। जो रेलवे सुरक्षा प्रमाणन का सबसे बड़ा स्तर है।