शुक्रवार, 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे सभी 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया हैं।
कोर्ट ने दोषी नलिनी श्रीहर, रॉबर्ट पेस, रविचंद्रन, सुथेनथिरा राजा उर्फ संथान, श्रीहरन उर्फ मुरुगन और जयकुमार को रिहा करने का आदेश दिया है। पीठ ने आदेश दिया, “अपीलकर्ताओं को निर्देश दिया जाता है कि यदि किसी अन्य मामले में इसकी आवश्यकता नहीं है तो वे स्वतंत्र हैं।”
जी हां, राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी श्रीहरन (Nalini Sriharan) और पांच अन्य दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने 33 साल की जेल के बाद रिहा कर दिया है। इससे पहले इससे साल यानि मई 2022 को राजीव गाँधी हत्याकांड के 7वें दोषी पेरारीवलन (Perarivalan) को रिहा कर दिया गया था।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने मई 2022 को पारित निर्देश के बाद आदेश पारित किया, जिसमें मामले के दोषी पेरारिवलन को राहत दी गई थी। पीठ ने कहा कि पेरारीवलन का आदेश वर्तमान आवेदकों पर लागू होता है।
अदालत ने यह भी कहा कि तमिलनाडु सरकार ने 2018 में राज्यपाल से दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी। जिस पर राज्यपाल ने कार्रवाई नहीं की है। पीठ ने यह भी कहा कि दोषियों ने 3 दशक से अधिक समय तक जेल में बिताया है और जेल में उनका आचरण संतोषजनक था।
राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी एस नलिनी ने समय से पहले रिहाई की मांग करते हुए अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसने मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसकी शीघ्र रिहाई की याचिका खारिज कर दी गई थी।
मद्रास हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस एन माला की बेंच ने नलिनी की याचिका खारिज करते हुए कहा था, ‘उच्च न्यायालय भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत समान आदेश पारित करने के लिए शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकता जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में एक दोषी एजी पेरारीवलन को रिहा करते हुए आदेश पारित किया था।’
सुप्रीम कोर्ट ने मई, 2022 को, संविधान के अनुच्छेद 142 को लागू करते हुए पेरारिवलन को रिहा कर दिया था, जिसने राजीव गांधी हत्याकांड में 30 साल से अधिक जेल की सजा काट ली थी।
मद्रास हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्ति सुप्रीम कोर्ट को विशेष रूप से दी गई है, सुझाव दिया कि यदि नलिनी श्रीहर, एजी परवारीवलन के मामले में आदेश के संदर्भ में रिहाई की मांग कर रही है तो वह सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को हत्याकांड के दोषियों नलिनी श्रीहर और आरपी रविचंद्रन द्वारा समय से पहले रिहाई की मांग करने वाली विशेष अनुमति याचिकाओं पर केंद्र और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया था। मद्रास हाईकोर्ट द्वारा 17 जून को आजीवन दोषियों की याचिकाओं को खारिज करने के बाद अपीलों को प्राथमिकता दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भारत संघ और तमिलनाडु राज्य से जवाब मांगा था।