भारतीय खगोलविदों ने प्रकाश के पोलराइज़ेशन (Polarisation of Light) का उपयोग करके एक्स्ट्रा सौर ग्रहों के वातावरण को समझने के लिए एक नई विधि खोजी है। उन्होंने दिखाया है कि सूर्य के अलावा अन्य सितारों के चारों ओर घूमने वाले ग्रहों का अध्ययन प्रकाश के पोलराइज़ेशन को देखकर और पोलराइज़ेशन के संकेतों का अध्ययन करके किया जा सकता है।
हाल के दिनों में, खगोलविदों ने पता लगाया है कि हमारे सौर मंडल की तरह कई अन्य सितारों के भी ग्रह घूम रहे हैं। अब तक लगभग 5000 ऐसे एक्सोप्लैनेट का पता लगाया जा चुका है। हाल ही में, अरित्रा चक्रवर्ती (Aritra Chakrabarty) ने एक डिटेल्ड थ्री-डायमेंशनल न्यूमेरिकल मेथड विकसित की और एक्सोप्लैनेट के पोलराइज़ेशन का अनुकरण किया।
विभिन्न वेवलेंथ पर पोलराइज़ेशन पर्याप्त रूप से अधिक होता है और इसलिए एक साधारण पोलारिमीटर द्वारा भी पता लगाया जा सकता है यदि स्टारलाइट अवरुद्ध हो। यह एक्सोप्लैनेट के वातावरण के साथ-साथ इसकी केमिकल कम्पोजीशन का अध्ययन करने में मदद करता है। हॉट यंग प्लैनेट्स के थर्मल रेडिएशन और अन्य सितारों की परिक्रमा करने वाले ग्रहों के रिफ्लेक्टेड लाइट, जिन्हें अतिरिक्त-सौर ग्रह या एक्सोप्लैनेट के रूप में जाना जाता है, को भी पोलराइज किया जाएगा।