दुनिया में कई नायाब चीज़ें बन रही हैं तो फिर इसमें भारत पीछे क्यों रहे ? अब हमें जल्द ही दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर देखने को मिलेगा। दिल्ली से गुरुग्राम होते हुए जयपुर जाने वाले रास्ते पर आए दिन जाम लगता है। खास तौर पर गुरुग्राम से दिल्ली और दिल्ली से गुड़गांव के बीच सफर करने वाले लोगों के लिए जाम परेशानी का कारण बनता है, लेकिन अब हमें इस जाम से निजात मिलने वाला है क्योंकि जल्द ही गाड़ियों के सरपट दौड़ने के लिए द्वारका एक्सप्रेसवे (Dwarka Expressway) का निर्माण किया जा रहा है। इस द्वारका एक्सप्रेसवे को भारत में पहले एलिवेटेड अर्बन एक्सप्रेसवे (First Elevated Urban Expressway in India) के रूप में डेवलप किया जा रहा है।
भारतमाला प्रोजेक्ट (Bharatmala Project) के तहत बन रहा यह द्वारका एक्सप्रेसवे दिल्ली में द्वारका को हरियाणा के गुरुग्राम से जोड़ेगा। इस एक्सप्रेसवे को कुल 29 किमी की कुल लंबाई के साथ 9,000 करोड़ रुपये की लागत से डेवलप किया जा रहा है, जिसमें से 19 किमी लंबाई हरियाणा में आती है जबकि बची हुई 10 किमी लंबाई दिल्ली में है। हरियाणा भाग में नार्थ पेरीफेरल रोड के रूप में जाना जाने वाला यह द्वारका एक्सप्रेसवे एक 16-लेन एक्सेस-कंट्रोल्ड हाईवे है जिसमें दोनों तरफ मिनिमम 3-लेन सर्विस रोड का प्रोविजन है।
देश का पहला एलीवेटेड अर्बन एक्सप्रेस माना जा रहा यह द्वारका एक्सप्रेसवे राजधानी शहर दिल्ली में भीड़भाड़ कम करने की योजना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ये द्वारका एक्सप्रेसवे, दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेसवे और मुख्य सड़कों पर दबाव कम करेगा, जो मुख्य रूप से वेस्ट दिल्ली के यात्रियों से गंभीर ट्रैफिक की भीड़ का अनुभव करते हैं।
इस एक्सप्रेसवे की ख़ासियत है की इसमें 4 मल्टी-लेवल इंटरचेंज बनाए गए हैं जिसमें टनल या अंडरपास, ग्रेड रोड, एलिवेटेड फ्लाईओवर और फ्लाईओवर के ऊपर फ्लाईओवर बनाए गए हैं। द्वारका एक्सप्रेसवे में भारत में सबसे लंबी यानी की 3.6 किमी और सबसे चौड़ी यानी की 8 लेन शहरी रोड टनल का निर्माण होगा। NHAI के अधिकारियों के मुताबिक इस टनल को बनाने में खास किस्म की मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके चलते टनल को पूरा करने में समय लगेगा।
यह एक्सप्रेसवे NH-8 पर शिव-मूर्ति से शुरू होगा और द्वारका सेक्टर 21, गुरुग्राम बॉर्डर और बसई होते हुए खेरकी दौला टोल प्लाजा के पास समाप्त होगा। NH-8 पर 50% -60% ट्रैफिक को नए एक्सप्रेसवे पर डायवर्ट किया जाएगा, जिससे सोहना रोड, गोल्फ कोर्स रोड और एयर एक्सटेंशन की ओर यातायात में सुधार होगा। एक बार द्वारका एक्सप्रेसवे पूरा हो जाने के बाद, यह द्वारका के सेक्टर 25 में आने वाले इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (IICC) तक सीधी पहुंच प्रदान करेगा और उथले सुरंग के माध्यम से इंदिरा गाँधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट को अल्टरनेट कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा। इस आगामी वर्ल्ड क्लास कॉरिडोर का हिस्सा एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, टोल मैनेजमेंट सिस्टम, सीसीटीवी कैमरा, निगरानी आदि जैसे अत्याधुनिक इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (ITS) होंगे।
द्वारका एक्सप्रेसवे में ट्रांसप्लांटेशन में एक बड़ी उपलब्धि मिलेगी, जिसमें 12,000 पेड़ लगाए जाएंगे। ये देश का पहला ऐसा प्रोजेक्ट है जिस पर 12 हज़ार पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन किया जायेगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की माने तो एक पेड़ के ट्रांसप्लांटेशन में करीब ₹25000 का खर्च आएगा। यह परियोजना एक इंजीनियरिंग का कारनामा भी है जिसमें 34 मीटर चौड़ा 8-लेन हाईवे शामिल है, जो एक ही घाट पर बनाया जा रहा अपनी तरह का पहला हाईवे है। इस परियोजना के निर्माण के लिए 2 लाख मीट्रिक टन स्टील की खपत का अनुमान है, जो की एफिल टॉवर में इस्तेमाल होने वाले स्टील का 30 गुना है। वहीं, इसे बनाने के लिए 20 लाख घन मीटर कंक्रीट का भी इस्तेमाल हो सकता है, जो की बुर्ज खलीफा में इस्तेमाल होने वाले कंक्रीट का 6 गुना है।
फिलहाल द्वारका एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य पिछले कई सालों से काफी धीमी गति से चल रहा था लेकिन अब लगता है की इसने रफ़्तार पकड़ ली है क्योंकि यह प्रगति का एक्सप्रेसवे 2023 तक पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा, जिससे डायरेक्टली और इनडायरेक्टली लगभग 50 हजार रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है।