ISRO की शुरुवात करने वाले विक्रम अंबालाल साराभाई का जन्म अहमदाबाद में 12 अगस्त 1919 को हुआ था. बता दें उनके पिता अंबालाल साराभाई एक संपन्न उद्योगपति थे. वो गुजरात में कई मीलों के स्वामी थे. उन्होंने ‘केम्ब्रिज विश्वविद्यालय’ के सेंट जॉन कॉलेज से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की. विक्रम साराभाई युवाओं को आगे की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते थे. साराभाई ने 1947 में अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना की थी. बता दें विज्ञान में उनके कार्यों को देखते हुए 1962 इश्वी में उन्हें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें 1966 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया था.
जब लैंडर विक्रम से चंद्रमा की सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो का संपर्क टूट गया. लेकिन इसके बाद भी इसरो का चंद्रमा पर पहुंचने का हौसला नहीं टूटा. इसरो ने अंतरिक्ष की दुनिया में कई इतिहास रचे हैं. आज इसरो ने अपनी पहचान देश- दुनिया में बना ली है. इसका श्रेय सिर्फ विक्रम साराभाई को जाता है. जिनकी वजह से इसरो की स्थापना हुई और भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में इतनी तरक्की करके बड़े-बड़े अभियानों में सफलता प्राप्त की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (इसरो) की स्थापना विक्रम साराभाई ने की थी. बता दें, रूसी स्पुतनिक के लॉन्च के बाद उन्होंने इसरो की स्थापना के बारे में सोचा था. लेकिन ISRO की स्थापना करना इतना आसान नहीं था, इसके लिए पहले विक्रम साराभाई को सरकार को मनाना पड़ा साथ ही समझाना पड़ा की भारत के लिए इसरो की स्थापना कितनी जरूरी है. डॉ. साराभाई ने अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व पर जोर देते हुए सरकार को समझाया था. जिसके बाद 15 अगस्त 1969 में इसरो की स्थापना हुई. आपको बता दें, इसरो और पीआरएल के अलावा, उन्होंने कई संस्थानों की स्थापना की. ‘परमाणु ऊर्जा आयोग’ के अध्यक्ष पद पर भी विक्रम साराभाई रह चुके थे. उन्होंने अहमदाबाद में स्थित अन्य उद्योगपतियों के साथ मिल कर ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट’, अहमदाबाद की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
उस समय उनकी उम्र केवल 28 वर्ष थी. साराभाई संस्थानों के निर्माता और संवर्धक थे और पीआरएल इस दिशा में पहला क़दम था. विक्रम साराभाई ने 1966-1971 तक पीआरएल की सेवा की.
ये हैं विक्रम साराभाई के द्वारा स्थापित किए हुए संस्थान
– भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद
– इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम), अहमदाबाद
– कम्यूनिटी साइंस सेंटर, अहमदाबाद
– दर्पण अकाडेमी फ़ॉर परफार्मिंग आर्ट्स, अहमदाबाद
– विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम
– स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, अहमदाबाद
– फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (एफबीटीआर), कल्पकम
– वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन प्रॉजेक्ट, कोलकाता
– इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड(ईसीआईएल), हैदराबाद
– यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल), जादूगुडा, बिहार
सम्मान
शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार (1962)
पद्मभूषण (1966)
पद्मविभूषण, मरणोपरांत (1972)
इन पदों पर थे कार्यरत
– भौतिक विज्ञान अनुभाग, भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अध्यक्ष ([1962)
– आई.ए.ई.ए. वेरिना के महा सम्मलेनाध्यक्ष (1970)
– उपाध्यक्ष, ‘परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग’ पर चौथा संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (1971)
निधन
विज्ञान जगत में देश का परचम लहराने वाले इस महान वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई की निधन 30 दिसंबर, 1971 को कोवलम, तिरुवनंतपुरम, केरल में हुआ था.