Viswas Swaroopam

न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दु:खं न मन्त्रो न तीर्थं न वेदो न यज्ञः।
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूप: शिवोऽहं शिवोऽहम्।।

आदि और अनंत शिव तो तीनों लोकों के स्वामी हैं। उनपे विश्वास करने के लिए किसी आस की ज़रूरत नहीं होती। शिव भक्त महज “ॐ नमः शिवाय” के मंत्रोच्चर से ही अपने शिव को पा लेते हैं। यूँ तो भारत में भगवान शिव की बहुत सारी प्रतिमाएं स्थापित हैं, लेकिन हाल ही में राजस्थान में दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा को स्थापित किया गया है। इस प्रतिमा का नाम ‘विश्वास स्वरूपम’ यानी की ‘स्टैच्यू ऑफ बिलीफ’ (Statue of Belief) रखा गया है।

राजस्थान (Rajasthan) में राजसमंद (Rajsamand) जिले के नाथद्वारा (Nathdwara) में दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा (World’s Tallest Shiva Statue) का अनावरण किया गया है। शिव की यह प्रतिमा 369 फीट ऊँची है, जिसे “विश्वास स्वरूपम” (Vishvas Swaroopam) नाम दिया गया है। भगवान शिव की इस प्रतिमा का वजन करीब 30 हजार टन है। इसे तत पदम संस्थान (Tat Padam Sansthan) द्वारा तैयार किया गया है। इस मूर्ति को बनाने में 10 साल का समय लगा। निर्माण में 3,000 टन स्टील और लोहा और 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल किया गया है।

वैसे बता दें की इस स्टेचू को बनाने के पीछे भी एक अनोखी कहानी जुड़ी हुई है। जब साल 2012 में इस प्रतिमा को बनाने का प्लान तैयार हुआ तो इसकी ऊंचाई 251 फीट रखने की योजना बनाई गई थी, लेकिन बाद में निर्माण के दौरान इसकी ऊंचाई 351 फीट तक पहुंच गई। इसके बाद शिव की जटा में गंगा की जलधारा लगाने की योजना बनाई गई, तो इसकी ऊंचाई 369 फीट तक पहुंच गई।

नाथद्वारा की गणेश टेकरी के 51 बीघा की पहाड़ी पर बनी भगवान शिव की यह 369 फुट ऊंची प्रतिमा ध्यान मुद्रा में है। दुनिया की सबसे ऊंची इस शिव प्रतिमा की अपनी एक अलग खासियत है। यह प्रतिमा दुनिया की एकमात्र ऐसी प्रतिमा होगी, जिसमें भक्तों के लिए लिफ्ट, सीढ़ियां और हॉल बनाया गया है, जहां एक साथ 10 हजार लोग प्रवेश कर सकते हैं। प्रतिमा के सबसे ऊपरी हिस्से तक पहुंचने के लिए चार लिफ्ट और तीन सीढ़ियां बनवाई गई हैं। इसके माध्यम से भगवान शिव के कंधे के नजदीक लगे त्रिशूल के दर्शन भी आप कर सकेंगे। इसके साथ ही ऊपर जलाभिषेक की व्यवस्था भी होगी।

ध्यान मुद्रा में विराजमान शिव की यह प्रतिमा 20 किलोमीटर दूर से ही नजर आने लग जाती है। रात में भी यह प्रतिमा स्पष्ट रूप से दिखाई दे, इसके लिए विशेष लाइट्स की व्यवस्था भी की गई है। इस प्रतिमा के प्रांगण में 25 फीट ऊंचे और 37 फीट चौड़े नंदी भी हैं। इस प्रतिमा का 250 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली आंधी और ओले भी कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। करीब 250 वर्ष तक इस प्रतिमा को किसी तरह के रखरखाव की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि इसे कोर वाल टेक्नोलॉजी से तैयार किया गया है। इस प्रतिमा का ऑस्ट्रेलिया की लैब में भी टेस्टिंग किया गया है।

आज इस शिव प्रतिमा की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। दुनियाभर के लोग इसके दर्शन करने आ रहें हैं। टूरिस्टों के लिए यह बहुत ही बड़ा आकर्षण का केंद्र बन गया है। शिव की यह प्रतिमा शिव के भक्तों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है। यह प्रतिमा शिव के भक्तों को एक रमणीय दृश्य प्रदान करती है और शिव की भक्ति में और भी मलंग बनाती है।

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