Report by: Manisha
बहने वाली राजधानी दिल्ली में एक बार फिर यमुना नदी दूषित होने लगी है। कालिंदी कुंज के पास शनिवार को यमुना नदी की सतह पर जहरीले झाग तैरते दिखे। प्रदूषक तत्वों की मात्रा यमुना के पानी में बढ़ने को लेकर दिल्ली सरकार कई बार चिंता जता चुकी है, लेकिन अब तक इस समस्या पर काबू नहीं पाया जा सका है। माना जाता है कि हरियाणा की फैक्ट्रियों से निकलने वाली पानी से भी नदी में प्रदूषक तत्व का स्तर बढ़ जाता है।
जानकारी के मुताबिक, बीते सप्ताह दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने बताया था कि गंभीर जल संकट पर काबू पाने के लिए जल बोर्ड ने यमुना नदी में अनुपचारित प्रदूषकों को बहने से तुरंत रोकने और दिल्ली को पर्याप्त पानी देने के लिए हरियाणा सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
राघव चड्ढ़ा ने हरियाणा द्वारा दिल्ली के हिस्से के कच्चे पानी की आपूर्ति में कमी किए जाने और यमुना में बढ़ते अमोनिया के मुद्दे को लेकर रविवार को केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से हस्तक्षेप करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि जल संसाधन मंत्री दिल्ली के हिस्से के पानी को जारी करने और अमोनिया के बढ़ते स्तर पर अंकुश लगाने के लिए हरियाणा सरकार को निर्देश दें।
वही राघव चड्ढ़ा ने आरोप लगाया था कि हरियाणा सरकार के सुस्त रवैये के चलते यमुना में बड़ी मात्रा में औद्योगिक कचरा डाला जा रहा है जिससे यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ रहा है और इससे राजधानी दिल्ली के वाटर प्रोडक्शन में कमी आती है। हमारे लैब में चैक किए गए वाटर सैंपल से इस बात की पुष्टि हुई है। इतना ही नहीं दिल्ली जल बोर्ड इस मुद्दे को लेकर लगातार हरियाणा सरकार के साथ संपर्क में है, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।
यमुना में झाग पर एनजीटी ने रिपोर्ट मांगी थी
बीते साल, नदी में अचानक झाग बनने के पीछे के कारण एनजीटी की ओर से नियुक्त यमुना निगरानी समिति यानी वाईएमसी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति यानी डीपीसीसी और औद्योगिक आयुक्त से रिपोर्ट का उद्देश्य की मांगी थी। एनजीटी की दो सदस्यीय समिति ने सीपीसीबी और डीपीसीसी अध्यक्ष संजय खिरवार और औद्योगिक आयुक्त विकास आनंद से नदी में झाग उत्पन्न होने के स्रोत का पता लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था। सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में यमुना में झाग बनने के पीछे का कारण फॉस्फेट की अधिक मात्रा को बताया था, जो कि ज्यादातर घरेलू अपशिष्ट से निकलते हैं।