sahid bhagat singh
sahid bhagat singh

जब-जब भारत अपने आजादी के दिनों को याद करता है और स्वतंत्र होने पर गर्व महसूस करता है तब-तब उसका सर उन महापुरुषों के लिए झुकता है। जिन्होंने देश प्रेम की राह में अपना सब कुछ न्यौछावर कर देश के लिए मर मिटने को तैयार थे। देश के स्वतंत्रता संग्राम में हजारों ऐसे नौजवान भी थे जिन्होंने ताकत के बल पर आजादी दिलाने की ठानी और क्रांतिकारी कहलाए। भारत में जब भी क्रांतिकारियों का नाम लिया जाता है तो सबसे पहला नाम शहीद भगत सिंह का आता है।

शहीद भगत सिंह, एक ऐसा नाम जो देश के स्वतंत्रता सैनानियों में सर्वप्रथम स्थान पर आता है। भगत सिंह को भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारी में से एक मन जाता है। उनका जन्म 27 सितंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। लेकिन उनका पैतृक गांव, पंजाब का खट्कड़ कलां भारत के अंदर आता है। एक आर्य-समाजी सिख परिवार के सदस्य थे भगत सिंह, जिनके माता-पिता भी क्रांतिकारी थे। उनके जन्म के वक़्त पिता किशन सिंह, चाचा अजित और स्वरण सिंह औपनिवेशीकरण विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन करने के जुल्म में जेल में थे। आगे चल कर उनके पिता और चाचा ने मिलकर भारतीय देशभक्त संघ की स्थापना की थी। शायद परिवार से ही उन्हें क्रांतिकारी का संस्कार मिला था।

वह बहुत ही कम उम्र में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बन गए थे। उन्होंने कई क्रान्तिकारी संगठनों का हाथ थमा और एक समय पर उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में अपना बहुत बड़ा योगदान भी दिया। भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रतिरोध के विभिन्न कृत्यों में भाग लेने के अलावा, उन्होंने पंजाबी और उर्दू भाषा के समाचार पत्रों के लिए एक लेखक और संपादक के रूप में भी योगदान दिया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनके क्रांतिकारी विचार बेहद लोकप्रिय हो रहे थे, जिसे साम्राज्य द्वारा एक खतरे के रूप में देखा जा रहा था। उनके आदर्श ने उनके बलिदान के साथ उन्हें भी एक लोक नायक के रूप में प्रस्तुत किया है। और देश के लोगों में प्रेरणा व उदाहरण के रूप में उनका नाम सदैव प्रस्तुत किये जाएंगे। उन्होंने काफ़ी कम उम्र में ही देश के लिए कई बड़े-बड़े कार्य किए, और केवल 23 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई, जब उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा 23 मार्च, सं 1931 की रात फाँसी पर लटका दिया गया था।

आज पीएम मोदी ने क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह को उनकी जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया। और इसी बिच उन्होंने भगत सिंह को याद करते हुए कहा कि “शहीद भगत सिंह के साहसी बलिदान ने अनगिनत लोगों में देशभक्ति की चिंगारी प्रज्वलित की है और वह हर भारतीय के दिल में आजीवन जीवित रहेंगे।” अंग्रेजों ने भगत सिंह को तो खत्म कर दिया पर वह भगत सिंह के विचारों को खत्म नहीं कर पाए, जो देश की आजादी की नींव है।आज भी देश में भगत सिंह की क्रांति की पहचान हैं।

आज उनके 114वी जयंती पर उनकी लिखी कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत है।

~ लिख रहा हूं मैं अंजाम जिसका, कल आगाज़ आएगा, मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।
मैं रहूं या ना रहूं, पर यह वादा है तुमसे मेरा, कि मेरे बाद वतन पर मरने वालो का सैलाब आएगा।
इंकलाब जिंदाबाद!