Oxygen-Plant

पूरी दुनिया में कोरोना ने लोगों से उनका बहुत कुछ छीना है। किसी से उनके बेटे,माता, पिता, दोस्त तो किसी से उनकी खुशियां। ऐसा ही हाल पुरे देश का रहा। ऐसा कोई नहीं जिसने कोरोना काल को सही बताया हो। कोरोना की दूसरी लहर ने पुरे देशभ में एक अलग ही मौत का तांडव मचाया था। और अस्पताल में पड़े मरीजों के लिए ऑक्सीजन ढूंढ रहे परिजन हज़ारो हज़ार में ऑक्सीजन का एक सिलेंडर ब्लैक में ख़रीदा कर रहे थे। देश के अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी यहीं हाल देखने को मिल रहा था।

और तब बिहार सरकार ने पुरे बिहार में 100 से अधिक पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगवाए थे। जो आज कोरोना काल का सौगात बन कर बिहारवासियों के लिए उपलब्ध है। जी हां, बिहार में अब ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत नहीं हो पायेगी। क्योंकि अब बिहार में प्रतिदिन 400 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्लांटों में शुरू हो गया है। राज्य के सभी जिला अस्पताल एवं अनुमंडलीय अस्पतालों में ऑक्सीजन की जरूरत वाले मरीजों को 24 घंटे ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा रही है।

इन प्लांटों से ऑक्सीजन उत्पादन शुरू होने से पूर्व दो बार मॉक ड्रील भी किया गया। पीएसए ऑक्सीजन प्लांट के अतिरिक्त निजी एवं औद्योगिक ऑक्सीजन प्लांटों में भी ऑक्सीजन का उत्पादन पहले से ही हो रहा है। कोरोना काल में हुए ऑक्सीजन की कमी से मरीजों और उनके परिजनों को जो परेशानी हुई उसे देखने के बाद केंद्र व राज्य सरकार ने राज्य में ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता पर जोर दिया था। जिसके नतीजतन, ऑक्सीजन की उपलब्धता राज्य में बढ़ गयी है।

बता दें कि, कोरोना काल के दौरान बिहार में 119 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए। इनमें भारत सरकार द्वारा अनुशंसा प्राप्त 84 आईटीआई प्रशिक्षितों को तैनात किया गया है। इसके अतिरिक्त 1600 कर्मियों को ऑक्सीजन प्लांट संचालित किए जाने का प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें 800 डॉक्टर एवं 800 स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं। ट्रामा (आघात), एक्सीडेंट (दुर्घटना), गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान व अन्य मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जा रहा है।

राज्य में प्रतिदिन करीब 130 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत है। उपयोग के अतिरिक्त शेष बचे ऑक्सीजन को संरक्षित भी किया जा रहा है।

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