मास्क हमारी ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। अब रिसर्चर्स ने 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करके एक रियूजेबल, रिसाइक्लेबल, धोने योग्य, गंधहीन, नॉन-एलर्जी और एंटी-माइक्रोबियल N95 मास्क विकसित किया है। यह चार-परत वाला मास्क जिसकी बाहरी परत सिलिकॉन से बनी होती है, उपयोग के आधार पर 5 वर्ष से अधिक की शेल्फ लाइफ होती है। डॉ अतुल ठाकुर, डॉ प्रीति ठाकुर, डॉ लकी कृष्णिया, और प्रो पीबी शर्मा, एमिटी यूनिवर्सिटी हरियाणा (AUH) के दिनेश कुमार रिसर्च स्कॉलर और नेब्रास्का विश्वविद्यालय (University of Nebraska), USA के प्रोफेसर राकेश श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से इस उत्पाद को विकसित किया है जिसमें रोगनिरोधी के रूप में अपार संभावनाएं हैं।
COVID 19 जैसे संक्रमणों को रोकने के लिए उपयोगों के अलावा, इस मास्क का उपयोग विभिन्न उद्योगों में श्रमिकों द्वारा भी किया जा सकता है, जहां वे सीमेंट कारखाने, ईंट भट्टों, कपास कारखानों और दर्द उद्योगों जैसे उच्च मात्रा में धूल के संपर्क में आते हैं। जिस स्थान पर इसका उपयोग किया जाएगा, उसके अनुसार फिल्टर कॉन्फ़िगरेशन को बदलकर आवश्यकता के अनुसार संशोधित किया जा सकता है और सिलिकोसिस (SILICOSIS) जैसी गंभीर फेफड़ों की बीमारियों को रोकने में मदद कर सकता है। इस नैनो ब्रीथ (Nano Breath) नामक मास्क के लिए ट्रेडमार्क और पेटेंट भी दाखिल किया गया है।
इस मास्क में 4-लेयर फिल्ट्रेशन मैकेनिज्म दिया गया है जिसमें फिल्टर की बाहरी और पहली परत नैनो पार्टिकल्स से ढकी होती है। दूसरी परत एक हाई एफिशिएंसी पार्टिकुलेट अब्सॉर्बिंग (HEPA) फिल्टर है, तीसरी परत 100 माइक्रोन फिल्टर है और चौथी परत नमी अब्सॉर्बेंट फिल्टर है। इस कार्य को करने के लिए एक Zetasizer Nano ZS, एक सुविधा का उपयोग किया गया है।