आकाशे तारकेलिंगम्, पाताले हाटकेश्वरम्।
मृत्युलोके च महाकालम् त्रयलिंगम् नमोस्तुते।।
शिव जी के इस मंत्र के मुताबिक संसार में तीन ही लोक हैं। आकाश, पाताल और मृत्यु। आकाश लोक के स्वामी है तारकलिंग, पाताल के हाटकेश्वर और मृत्युलोक के स्वामी महाकाल को कहा गया है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल, आस्था-अध्यात्म की पावन नगरी उज्जैन (Ujjain) में स्थित है और यही उज्जैन एक ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनने जा रही है। दरअसल, आज शाम पीएम मोदी यहां भव्य और दिव्य “श्री महाकाल लोक” (Shri Mahakal Lok) को राष्ट्र को समर्पित करने वाले हैं।
उज्जैन में बाबा महाकाल के श्री महाकाल लोक परियोजना के पहले चरण का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, और इसके लोकार्पण की तैयारियां जोर शोर से जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज उज्जैन में 850 करोड़ रुपये की महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना (Mahakaleshwar Temple Corridor Development Project) के पहले चरण की शुरुआत करेंगे। श्री महाकाल लोक 900 मीटर से अधिक लंबा है, जो की भारत में अब तक निर्मित ऐसे सबसे बड़े गलियारों में से एक है। पुरानी रुद्र सागर झील (Rudrasagar Lake) के चारों ओर फैले इन गलियारों का निर्माण काशी विश्वनाथ काॅरिडोर के तर्ज पर किया गया है।
2017 में शुरू हुई इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य प्राचीन मंदिर वास्तुकला के उपयोग के माध्यम से ऐतिहासिक शहर उज्जैन के प्राचीन गौरव पर जोर देना और इसे वापस लाना है। श्री महाकाल लोक गलियारे में प्रवेश के लिए दो राजसी प्रवेश द्वार बनाए गए हैं, जिसमें एक नंदी द्वार (Nandi Dwar) और दूसरा पिनाकी द्वार (Pinaki Dwar), थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कॉरिडोर के शुरुआती बिंदु के पास बनाए गए हैं, जो प्राचीन मंदिर के प्रवेश द्वार तक जाते हैं और रास्ते भर सौंदर्य के दृश्य प्रस्तुत करते हैं। श्री महाकाल लोक के निर्माण में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर का बलुआ पत्थर इस्तेमाल किया गया है। यहाँ 2.5 हेक्टेयर में फैला प्लाजा क्षेत्र कमल के तालाब से घिरा हुआ है और इसमें फव्वारे के साथ भगवान शिव की मूर्ति भी है।
कॉरिडोर के मुख्य गेट पर करीब 20 फीट का शिवलिंग धागे से बनाया गया है, इसपर से पर्दा उठाकर ऑफिशियली कॉरिडोर का उद्घाटन किया जाएगा। इस ऐतिहासिक आयोजन के करोड़ों देशवासियों के साथ 50 देशों के एनआरआई भी साक्षी बनेंगे।
इस परियोजना के तहत महाकाल पथ (Mahakal Path) में 108 स्तंभ हैं जो भगवान शिव के आनंद तांडव स्वरूप को दर्शाते हैं। महाकाल पथ के खंभों पर नक्काशी का काम राजस्थान, गुजरात और ओडिशा के कारीगरों ने मिल कर किया है। कालिदास के अभिज्ञान शकुंतलम् में वर्णित वनस्पतियों सहित लगभग 40 से 45 धार्मिक महत्व वाले वनस्पतियों जिनमें रुद्राक्ष ,बेलपत्र आदि को पथ पर लगाया गया है। महाकाल पथ के किनारे भगवान शिव के जीवन को दर्शाने वाली कई धार्मिक मूर्तियां स्थापित हैं। पथ के साथ दीवारों पर शिव पुराण की कहानियों, जैसे की ब्रम्हांड का सृजन कैसे हुआ, गणेश का जन्म, सती और दक्ष की कहानी आदि को चित्रित किया गया है। श्रद्धालु हर एक भित्ति चित्र की कथा इस पर स्कैन कर सुन सकेंगे।
आदि-अनंत भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में श्री महाकाल लोक का लोकार्पण पूरी दुनिया में बसे सनातन धर्मावलंबियों के लिए आस्था, श्रद्धा व गौरव का पल होगा। इस परियोजना का पहला चरण तीर्थयात्रियों को विश्व स्तरीय आधुनिक सुविधाएं प्रदान करके मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों के अनुभव को समृद्ध करने में मदद करेगा।