स्पेस टूरिज्म एक नया ट्रेवल फैशन बन गया है। जैसे-जैसे टाइम बीत रहा है, टेक्नोलॉजी की मदद से अंतरिक्ष की खोज का सपना साकार हो रहा है। वो देश जिसने दुनिया को बुलेट ट्रेन के रूप में सबसे तेज ट्रेन की सौगात दी है, उसने अब बुलेट ट्रेन से ही धरती से चांद पर पहुंचने की ठान ली है। अभी तक बुलेट ट्रेन (Bullet Train), पृथ्वी पर दौड़ने वाली सबसे तेज ट्रेन मानी जाती रही हैं, लेकिन अब जापान (Japan) अंतरिक्ष के लिए पृथ्वी से चाँद और मार्स (Mars) ग्रह तक के लिए बुलेट ट्रेन बनाने की योजना बना रहा है। यानी की अब हम आने वाले समय में दो ग्रहों के बीच ट्रेन को दौड़ते हुए देख सकेंगे।
जापान ने इंसानों को मंगल और चंद्रमा तक भेजने के लिए अपना एक बुलेट ट्रेन का प्लान प्रस्तुत किया है। इस नई इंटरप्लेनेटरी ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम यानी की एक प्लानेट से दूसरे प्लानेट में जाने के लिए परिवहन प्रणाली को हेक्साट्रैक (Hexatrack) के नाम से जाना जायेगा। ये ट्रेन हेक्सागोनल आकार के कैप्सूल में होंगे और इन्हें ‘हेक्साकैप्सूल’ के रूप में जाना जायेगा, जिसके बीच में एक मूविंग डिवाइस होगा। इसमें एक मिनी-कैप्सूल 15 मीटर के दायरे का लिंक होगा जो पृथ्वी और चंद्रमा को जोड़ेगा। वहीं, इसमें 30 मीटर लंबे कैप्सूल भी होंगे, जो धरती से चांद होते हुए मंगल ग्रह पर जाएंगे। ये कैप्सूल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक टेक्नोलॉजी पर चलेंगे। चांद से मंगल ग्रह पर आने-जाने के लिए 1G की ग्रैविटी मेंटेन की जाएगी।
इस स्पेस बुलेट ट्रेन का नाम स्पेस एक्सप्रेस (Space Express) रखा गया है। 6 कोच वाली इस स्पेस एक्सप्रेस के पहली और आखिरी कोच में रॉकेट बूस्टर्स लगे होंगे जो पूरी ट्रेन को आगे और पीछे की ओर ले जाने में मदद करेंगे। धरती और चांद के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के हिसाब से इसे एडजस्ट किया जा सकेगा।
जापान के वैज्ञानिक पृथ्वी, चंद्रमा और मंगल ग्रह को जोड़ने वाली बुलेट ट्रेनों के साथ एक आर्टिफीसियल स्पेस कॉलोनी बनाने की योजना बना रहे हैं। जापान जीरो और कम ग्रैविटी वाले वातावरण में ग्लास हैबिटेट बनाने वाला है, यानी धरती से जो लोग बुलेट ट्रेन के माध्यम से वहां भेजे जाएंगे, वे वहां एक आर्टिफिशियल स्पेस हैबिटेट में रहेंगे। ये हैबिटैट ठीक पृथ्वी जैसा होगा। इसकी ग्रैविटी, भूभाग और वातावरण पृथ्वी जैसा होगा, ताकि इंसान आसानी से वहां जा पाएं। इस योजना पर जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी (Kyoto University) और काजिमा कंस्ट्रक्शन (Kajima Construction) मिलकर काम कर रही है, जिससे अंतरिक्ष यात्रा का संसार बदल सकता है। वैज्ञानिकों की टीम ने पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बारे में जानकारी दी।
ये ग्लास हैबिटेट एक कॉलोनी के जैसा होगा, जिसमें पेड़-पौधे होंगे और नदियां भी होंगी। चांद पर जो कॉलनी बनाई जायेगी उसका नाम लूनरग्लास (Lunarglass) रखा जाएगा। वहीं जो मंगल ग्रह पर कॉलोनी बनेगी उसे मार्सग्लास (Marsglass) कहा जाएगा। द ग्लास (The Glass) के रूप में जानी जाने वाली इस स्ट्रक्चर को शैंपेन की बांसुरी के आकार में बनाया जाएगा। चंद्रमा पर स्टेशन को लूनर स्टेशन (Lunar Station) कहा जाएगा और यह गेटवे सैटलाइट का यूज करेगा। दूसरी ओर मंगल पर स्थित स्टेशन को मार्स स्टेशन (Mars Station) कहा जाएगा और यह मंगल ग्रह के सैटलाइट फोबोस पर स्थित होगा। वहीं पृथ्वी के स्टेशन टेरा स्टेशन (Terra Station) कहलाएंगे जिसके बाद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station) होगा।
कहा जा रहा है कि जापान अपने इस मेगा प्रोजेक्ट में लग गया है। 2050 तक इसका प्रोटोटाइप तैयार हो जाएगा। हालांकि, फाइनली इसे तैयार होने में 100 साल भी लग सकते हैं। अब जो भी हो, लेकिन जापान के इस प्लान से ऐसा लग रहा है की हमारी आने वाली पीढ़ी वह जीवन जिएगी जिसके बारे में हम केवल फिल्में देखते हुए ही कल्पना कर सकते हैं।