Savita-Kanswal

4 अक्टूबर 2022, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में डोकरैन बामक ग्लेशियर (Dokriani Bamak Glacier) के पास 17,000 फीट ऊपर द्रौपदी के डंडा पर्वत शिखर पर बर्फ का एक बड़ा टुकड़ा तेजी से नीचे खिसका। और इस अवालांचे (Avalanche) ने लगभग सुबह के 8:45 बजे अपना असर दिखाया, जिसमें उत्तरकाशी स्थित राष्ट्रीय पर्वतारोहण संस्थान (Nehru Institute Of Mountaineering, Uttarkashi) के 61 प्रशिक्षु पर्वतारोहियों का एक दल हिमस्खलन की चपेट में आ गया।

पर्वत शिखर पर हुए इस दुर्घटना से अब तक 26 लाशें बरामत हुई है। जिसमें 14 ट्रेनी और दो इंस्ट्रक्टर्स – नौमी रावत और सविता कंसवाल (Naumi Rawat and Savita Kanswal) के शव बरामत हुए हैं। उत्तराखंड हिमस्खलन में भारत ने अपना एक और रत्न 26 वर्षीय सविता कंसवाल (Savita Kanswal) को खो दिया है। सविता, 16 दिनों के भीतर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर 12 मई और 28 मई को पांचवें सबसे ऊंचे माउंट मकालू पर भारत का झंडा फैराने वाली पहली भारतीय महिला थी।

इन दोनों के अलावा, सविता ने ल्होत्से (8516 मीटर) नेपाल, माउंट त्रिशूल (7120 मीटर), माउंट तुलिया (4800 मीटर), कोलाहाई (5400 मीटर) जम्मू-कश्मीर और माउंट लाबौचे (6119 मीटर) पर भी चढ़ाई की है। बता दें कि सविता उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के लोंथरू गांव की रहने वाली थी। सविता आपस में चार बहने थी, जिसमें सबसे छोटी सविता ही थी।

उन्होंने अपने बुजुर्ग माता-पिता का बहुत साथ दिया और उन्हें कई मंचों पर सम्मान और पहचान भी दिलाई। उनके परिवार की आर्थिक स्थि‍ति ठीक नहीं होने के कारण उन्हें एनआईएम (NIM) में अपने प्रशिक्षण का समर्थन के लिए उन्हें कई तरह के काम करने पड़े थे। और फिर साल 2016 में, उन्हें उसी संस्थान में प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया, जो उनके और उनके परिवार के लिए बहुत गर्व की बात थी।

उनका जाना देश के पर्वतारोही समुदाय के लिए एक बहुत बड़ी क्षति तो है ही, लेकिन साथ ही पर्वत शिखर को फ़तेह करने का सपना देख रहे उन सभी युवाओं के लिए भी क्षति है जो उन्हें अपना प्रेरणा मानते थे। सविता कंसवाल अपने समूह के साथ द्रौपदी का डंडा 2 शिखर (5670 मीटर) पर्वत की ऊंचाई वाले नेविगेशन से लौट रही थी। तभी यह दुःखद दुर्घटना घटा जिसमें कई लोगों ने अपनी जान गवा दी है।

हालांकि विभिन्न संगठनों के कुल 88 लोग लगातार बचाव अभियान में लगे हुए हैं। राज्य सरकार का इसपर यह कहना है कि आईटीबीपी (ITBP), एसडीआरएफ (SDRF) और एनआईएम (NIM) के अलावा भारतीय वायु सेना (Indian Air Force), भारतीय सेना (Indian Army) गुलमर्ग के हाई एल्टीट्यूड वॉर स्कूल (High Altitude War School) से भी मदद ली जा रही है।

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