OTT

भारत में सिनेमा हमेशा से ही लोकप्रिय रहा है। फिल्में समाज को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती हैं और व्यक्तियों के व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है। चाहे वे कपड़े पहनने का तरीका हो या उनके बोलने का तरीका, उनका सामाजिक व्यवहार सभी फिल्मों से प्रभावित होता है। भारतीय सिनेमा ने अब तक सामाजिक रूप से अधिक जागरूक और अधिक विकसित किया। और इसी में हमनें महिलाओं को फिल्मों में ज़्यादातर स्टेरोटीपिकल (stereotypical) भूमिका निभाते हुए देखा है।

हिंदी सिनेमा में अब तक मुख्य नेतृत्व पर हम अभिनेता को देखते आए है, महिलाओं को आमतौर पर ‘कम या ज्यादा, सहायक पात्रों’ के रूप में दिखाया जाता है। जबकि बॉलीवुड (Bollywood) ने कुछ महिला-केंद्रित हिट फिल्में जैसे इंग्लिश विंग्लिश (2012), क्वीन (2013), और मैरी कॉम (2014) आई और जिसमें हमने अभिनेत्रिओं को मुख्य भूमिका में देखा। भारतीय सिनेमा लंबे समय तक केवल पुरुष आधारित रहा है। लेकिन 2008 के बाद भारतीय अभिनेत्रियों को एक नयी दिशा मिली।

भारत को उसका पहला ओटीटी प्लेटफार्म बिगफ्लिक्स (BigFlex) मिला। ओटीटी प्लेटफॉर्म के उभरने के साथ स्क्रीन पर महिलाओं के प्रतिनिधित्व ने एक मोड़ ले लिया। अगर कलाकरों की भूमिका की बात की जाए तो समय के साथ उनमें भी काफी बदलाव आए है। महिलाएं कथाओं को अपनी भूमिका से ओटीटी पर फिर से परिभाषित कर रही हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मांग पर महिला-उन्मुख वीडियो के लिए यह एक अच्छा साल रहा है। पिछले एक साल में इस मंच ने मुख्यधारा के सिनेमा ने पिछले पांच वर्षों में जितना किया है, उससे कई अधिक महिला-केंद्रित सामग्री का निर्माण और प्रचार किया है।

यूट्यूब, नेटफ्लिक्स,अमेज़न प्राइम, ऑल्ट बालाजी और यहां तक कि होइचोई जैसे क्षेत्रीय ओटीटी प्लेटफॉर्म तक पर मुख्य अदाकारी एक महिला एक्ट्रेस कर रही है। पिछले एक साल में ‘करनजीत कौर’, ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज’ और कई अन्य शो ने महिलाओं को एक और स्तर ऊपर लाया है। फिल्मों में सेंसरशिप के कारण रोजमर्रा की जिंदगी में महिलाओं को संघर्ष करना पड़ता है जो शायद ही दिखाया जाता है।

जो लोग फेमिनिस्ट कंटेंट पसंद करते हैं उनके लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म एक वरदान है। और यह केवल फिल्मों में महिलाओं को चित्रित करने के बारे में नहीं है, यह उन विषयों के बारे में है जिन्हें उठाए जाने की आवश्यकता है। ‘A Thursday’ हो या ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने अहम मुद्दों को उठाना शुरू कर दिया है।

यामी गौतम, अतुल कुलकर्णी, नेहा धूपिया, डिंपल कपाड़िया और करणवीर शर्मा की विशेषता वाली ‘A Thursday’ ने बलात्कार से पीड़ित समाज के खतरे को उजागर किया है। इसी तरह, ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ एक ऐसी महिला के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अभिनेत्री बनना चाहती थी, लेकिन उसे उसके प्रेमी के द्वारा बम्बई ले जाकर वैश्यावृत्ति में जबरदस्ती धकेल दिया जाता है। और फिर वहां से कैसे वो अपना वर्चस्व कायम करती है वो दिखाता है। कई अन्य वेब सीरीज जैसे ‘द फेम गेम’, ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज!’ और ‘आर्या’ ने महिलाओं को अच्छे तरीके से चित्रित किया है। महिलाएं शक्तिशाली हैं और ओटीटी प्लेटफॉर्म महिलाओं की शक्ति को उजागर करके इस तथ्य को सही ठहरा रहा है।

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