viral fever
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बिहार में कोरोना के बीच वायरल फीवर का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। राजधानी पटना समेत सभी जिलों में वायरल फीवर का बराबर कहर देखने को मिल रहा है। वायरल फीवर की चपेट में सबसे ज़्यादा बच्चे आ रहे हैं। बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज में लगातार फीवर से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। एक तरफ पीएमसीएच में बच्चों तड़प रहे हैं तो उनके परिजन बिलख रहे हैं। हालत ऐसी है की शिशु वार्ड में डॉक्टर टाइम से बच्चों को देखने नहीं पहुंच रहे और अस्पतालों में बेड खाली नहीं हैं। पटना में पीएमसीएच, एनएमसीएच, आईजीआईएमएस और एम्स में भी बच्चों के लिए मौजूद बेड फुल होने के कागार पर पहुंच चुके है।

एनएमसीएच अस्पताल में तो हालात इतने खराब हैं की यहां एक बेड पर दो बच्चों को रखकर इलाज किया जा रहा है। इससे परिजन भी परेशान हैं और कह रहे हैं की इस तरह एक बेड पर दो बच्चों का इलाज करने से अन्य बिमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है। असल में एनएमसीएच अस्पाताल में बच्चा वार्ड, नीकु, पीकू और जेनरल वार्ड मिलाकर कुल 84 बेड हैं लेकिन अचानक मरीज़ों की संख्या बढ़ने के कारण बच्चा वार्ड में कुल 87 मरीज़ एडमिट हैं ऐसे में एक बेड पर दो बच्चों को रखकर इलाज किया जा रहा है। एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ. बिनोद सिंह ने बताया की बच्चों में ज़्यादातर खांसी, सर्दी, निमोनिया और बुखार के मरीज़ हैं जोकि इन्फ्लुएंजा के लक्षण हैं।

इस वायरल बुखार की चपेट में आने से पटना में तीन बच्चों की मौत हो चुकी है जबकि गोपालगंज में एक बच्चे की मौत हुई है। भागलपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 70 बेड के शिशु वार्ड में 50 बच्चों का इलाज चल रहा है, जिसमें 20 बच्चे वायरल बुखार से पीड़ित हैं। सारण के अमनौर प्रखंड के सिरसा खेमकरण टारापुर गांव में पिछले चार दिनों के अंदर वायरल बुखार की वजह से तीन बच्चियों की मौत हुई है। अभी भी इस गांव में तकरीबन पांच दर्जन बच्चे बीमार हैं। मेडिकल टीम इस गांव में कैंप कर रही है। चिंता की बात यह है कि बच्चों को बुखार के दौरान सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है। गोपालगंज में चमकी बुखार के लक्षण वाले एक बच्चे की मौत के बाद मेडिकल कर्मियों और डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। सरकार इस पूरी स्थिति को लेकर अलर्ट मोड में आ चुकी है।