Pitru-Paksha-Mela-2022

9 सितंबर, शुक्रवार से पितृपक्ष मेले की शुरुआत हो गयी है। और इसी लेकर सरकार और प्रसाशन द्वारा सभी तैयारियां भी पूरी कर ली गयी है। शुक्रवार से पिंड दान की शुरुआत हो गयी है। आज, 10 सितंबर त्रिपाक्षिक श्राद्ध का पहला दिन है। बीते शुक्रवार को पटना के पुनपुन और गोदावरी में पूजा करने के बाद देवघाट में ही यात्री पिंडदान की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आते हैं। इस वजह से यहां भारी भीड़ है। यहां से पूजा पाठ करने के बाद शहर की 54 विभिन्न वेदियों पर विभिन्न तिथियों के अनुसार तीर्थयात्री अपने पूर्वजों का पिंडदान करेंगे।

गया के विष्णुपद देवघाट के निकट पिंडदान पूरे जोर-शोर से शुरू हो गया है। त्रिपाक्षिक पिंडदान करने वाले यात्रियों की बड़ी भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। यात्रियों का आने का सिलसिला बना हुआ है। वह अपने स्थान से लगातार देवघाट चले आ रहे हैं।

इधर देवघाट पर सिर्फ यात्रियों को बिठाकर पूजा-पाठ करने के लिए यहां जगह की भारी कमी पड़ गई है। इस कमी की खास वजह यह है कि इस साल फल्गु नदी में देवघाट के पास इस किनारे से उस किनारे तक भरपूर पानी नदी में मौजूद है। जिसकी वजह से पिंडदानी नदी में ना बैठकर देवघाट पर ही पूजापाठ कर रहे हैं।

हालांकि देवघाट की परिधि करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी में है। बावजूद इसके अब पूजा पाठ करने के लिए इस घाट पर कोई जगह नहीं है। कोई पिंडदानी आराम से पूजापाठ की जगह की तलाश करेगा तो उसे जगह नहीं मिलने वाली है। लोग इंतजार कर रहे हैं कि जगह खाली होती है, तो हम अपने पिंडदान की प्रक्रिया शुरू करेंगे।

शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि त्रिपाक्षिक पिंड दान करने से ही 21 कुलों का श्राद्ध और उद्धार होता है। विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंकर लाल विठ्ठल का कहना है कि तीर्थयात्रियों की संख्या के सही आकलन की कोई व्यवस्था नहीं है। बावजूद इसके एक अनुमान के मुताबिक उनकी संख्या शनिवार को एक लाख तक हो सकती है। अगले तीन-चार दिनों में यात्रियों की पूरी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है।

बड़ी संख्या में यात्री अपने शहर से गया जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सुबह के समय फल्गु स्नान से श्राद्ध की वैदिक क्रियाएं तेजी से शुरू हो जाएंगी। जिला प्रशासन से लेकर गयापाल पंडा ने अपने-अपने स्तर से पूरी तैयारी कर रखी है। यात्रियों को किसी प्रकार की कोई सुविधा न हो, इस बात का शिद्दत के साथ ख्याल रखा जा रहा है।

हरियाणा व राजस्थान के मारवाड़ी समाज के लोगों ने 17 दिनों का पिंडदान शुक्रवार से शुरू कर दिया है। कुछ ने गोदावरी में, कुछ ने पुनपुन नदी में पांव पूजा के साथ 21 कुलों के उद्धार के लिए पूजा शुरू कर दी है। उनकी पूजा 26 सितंबर को समाप्त होगी।

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