बिहार में सदियों से भूमि, जमीनी विवाद को लेकर लोग परेशान होते आ रहे। जमीनी दिक्कते को लेकर लोगो में कभी मार काट कि नौबत तो वहीं कभी कोर्ट-कचहरी तक का भी चक्कर काटना पड़ता है। इन सभी परेशानियों को झेलने का प्रमुख कारण कागज़ातो के खो जाने या फट जाने या किसी प्रकार कि कमी से हुआ करता था। जिससे निपटारा पाने के लिए बिहार सरकार ने एक एहम कदम उठाया हैं।
दरअसल, बिहार सरकार ने साल 2010 में ही जमीनी विवाद के तहत लेंड रिफॉर्म सर्वे यानि कि भूमि सर्वेक्षण का काम शुरू कर दिया था। मगर शुरुवाती दिनो में इसका प्रभाव ना के बराबर नज़र आया। ऐसे में पिछले दिनों राजस्व एवं भूमि सुधार विभाव द्वारा बिहार के जिलों का श्रेणी बनाकर भूमि सर्वेक्षण का कार्य शुरू किया गया है। फिलहाल राज्य के 20 जिलों- मुंगेर, पश्चिमी चंपारण, नालंदा, शेखपुरा, कटिहार, सुपौल, सीतामढ़ी, आदि जगहों पर भूमि सर्वेक्षण कार्य शुरू किया गया है। जिसके खतम होने के बाद से नए साल कि शुरुवात होते ही 18 और बड़े जिलों में समान तौर से यह कार्य किया जाएगा।
इसके साथ ही अब लोगो के जमीन से जुड़ी सभी कागज़ातो को डिजिटलाइज कराने का भी निर्णय लिया गया है। अब इस नए नियम के अंतर्गत लोगो को अपने ज़मीन से जुड़े सभी जरूरी कागज़ात सरकारी वेबसाइट पर ऑनलाइन देखने को मिल जाया करेंगे। यह राज्य सरकार एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा लिया गया एक प्रभावशाली कदम है। जिससे राज्य में हो रहे पारिवारिक भूमि विवादो को कम किया जा सकेगा। इतना ही नही आने वाले समय में नई पीढ़ियों को भी भूमि सर्वे करवाने के बाद से सुविधा प्राप्त होगी। इस कार्य के लिए बिहार में करीबन 2 हज़ार विशेष सुर्वेक्षणकर्म एवं सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी नियुक्त होंगे।