निति आयोग की जून 2021 में जारी की गई एसडीजी इंडिया इंडेक्स (SDG India Index 2020-21) रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार देश में आखिरी स्थान पर था। निति आयोग रिपोर्ट ने बिहार में तेजी से हो रहे विकास के दावे को आईना दिखा दिया था। इसके बाद से बिहार राजनीतिक पार्टियां, 3 महीने बाद रिपोर्ट को गलत ठहराते हुए अपनी आपत्ति जताई है।
जानकारी के अनुसार, इस साल निति आयोग ( Niti Ayog) रिपोर्ट में संयुक्त रूप से देश भर में बिहार को विभिन्न विकार के मानकों पर 28वें नंबर पर रखा गया था। जिसके बाद से अब करीबन 3 महीनो बाद बिहार के कुछ नेता टिप्पणी देते दिख रहे है। हाल ही में हुई एक प्रेस कांफ्रेंस में राज्य के योजना विकाश मंत्री- विजेंद्र प्रसाद यादव का बयान सामने आया है। जहां वह कहते दिख रहे हैं कि ‘बिहार ने सड़क, पुल-पुलिया से लेकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, बिजली और स्वास्थ सुविधाओं में बढ़ोतरी की है जबकि गरीबी घटाने जैसे मामले में भी राज्य ने काफी प्रगति की है। नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में राज्य की प्रगति को शामिल नहीं किया है और यह बिहार के साथ न्याय नहीं है।’
आपको बता दें कि जून में जारी की गई निति आयोग रिपोर्ट में 75 अंको के साथ केरल अव्वल पायदान पर है। जिसके बाद से 74 अंकों के साथ तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश, 72 अंकों के साथ गोवा और कर्नाटक, राजस्थान-उत्तर प्रदेश 60 अंकों के साथ तो वहीं असम 57 एवं झारखण्ड को 56 अंक मिले है। इनमे बिहार पीछे और सबसे कम 52 अंकों के साथ आखिरी पायदान पर रहा है। दूसरी ओर योजना मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव का मानना है कि बिहार ने गरीबी दर में छह सालों में 21 प्रतिशत की कमी की है। वर्ष 2004-05 के बिच गरीबी दर 54.4 प्रतिशत थी।
मंत्री विजेंद्र प्रसाद ने बताया कि योजना एवं विकास विभाग द्वारा नीति आयोग को एक ज्ञापन भी भेजा गया है। जिसमे साल 2019 में राज्य की अर्थव्यवस्था में वृद्धि दर 10.5% था इस बात का भी ज़िक्र किया गया है। उनका दावा है कि बिहार में पिछले 15 वर्षों में हरियाली क्षेत्र काफी बढ़ा है, लेकिन इस पर नीति आयोग ने ध्यान नहीं दिया है अंतत: उन्हें विचार करना चाहिए। प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने आगे यह भी कहा कि “बिहार में जब गाड़ियों की बिक्री बढ़ रही है, पुल बन रहे हैं, सड़क का निर्माण हो रहा है तो गरीबी कैसे नहीं घट रही है? यह सारे विरोधाभासी आंकड़े हैं, नीति आयोग की रिपोर्ट गड़बड़ है। उनके पास सभी राज्यों के सही आंकड़े नहीं होते, और ना ही वह आंकड़े कलेक्ट करते हैं।