बिहार में अच्छी सड़कों का बनना यानि बाकि राज्यों से कनेक्टिविटी को बेहतर करना है। अब जब कनेक्टिविटी बेहतर होगी तो लोग बिहार आएंगे और यहां की कला, संस्कृति, सभ्यता को जान पायेंगे। इसके लिए बिहार पर्यटन विभाग ने बिहार में टूरिज्म को बढ़ाते हुए कई सारे काम किये हैं। आज बिहार के कई शहरों में घूमने और देखने की कई जगहें और चीजें हैं। लेकिन जब बिहार में इंटरनेट की स्पीड से गाँवों तक सड़क पहुँच चुकी है तो क्यों न पर्यटकों को भी पहुँचाया जाये। और इसी सोच के साथ बिहार पर्यटन विभाग इस दिशा में काम करने जा रही है। राज्य भर में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग की ओर से कई योजनाएं चल रही है। और अब पर्यटन विभाग ग्रामीण टूरिज्म को आगे बढ़ाने की ओर अग्रसर होने जा रहा है।
बिहार को टूरिज्म का हब बनाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। बिहार के गया, राजगीर, नालंदा, पटना, दरभंगा सहित कई जिलों में टूरिज्म को बढ़ाया गया है और बढ़ाया जा भी रहा है। साथ ही बिहार भर में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग की ओर से कई योजनाएं चल रही है। जिसके माध्यम से पर्यटकों को कई सुविधाएं दी जाती है। और अब पर्यटन विभाग ग्रामीण टूरिज्म को आगे बढ़ाने के दिशा में काम करने जा रही है।
इसके लिए विभाग गांव का चयन करेगी, जहां कला-संस्कृति, हस्त कला और गांव के खान-पान को बढ़ावा दिया जायेगा। इसके लिए विभाग की ओर से जिलों को दिशा-निर्देश भेज दिए गए हैं। पर्यटन विभाग इस योजना पर इसी साल के अगस्त महीने से काम तेज करेगी। जिलों से मिली रिपोर्ट के बाद गांव का चयन किया जायेगा।
बता दें कि जिस गावों का चयन किया जायेगा, उस गांव तक पर्यटकों (tourists) के लिए रास्तों को सुलभ करने के लिए भी काम किया जायेगा। वहां पर आने -जाने की पूरी व्यवस्था रहेगी। इसके साथ ही ग्रामीण परिवेश में पर्यटक रात में ठहर सकें और गांव के मनमोहक वातावरण में दिन बिता सकें इसके लिए भी पूरी व्यवस्था की जायेगी।
अब जब गाँव तक पर्यटक भेजे जायेंगे तो उनके रस्ते में खान-पान की भी वयवस्था रहे इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र से गुजरने वाली सड़कों पर रेस्टोरेंट और ढाबा (restaurants and dhabas) खोलने की भी तैयारी की जाएगी। इन सड़कों पर खुलने वाले रेस्टोरेंट और ढाबा से ग्रामीण टूरिजम को जोड़ा जायेगा। इसमें विभागीय स्तर पर युवाओं को जोड़ने के लिए काम किया जायेगा।
विलेज टूरिज्म को लेकर विभाग के अधिकारियों का कहना कि “बिहार के की गाँव में हस्त कला देखि जाती है। जैसे मिथिला क्षेत्र के कई गांवों में मधुबनी पेंटिग होती है, जिसे देखने के लिए पर्यटक उत्सुक रहते हैं। लेकिन आज भी कई लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं लेकिन विलेज टूरिज्म से वे इससे जान पायेंगे।” ऐसे ही कई और हस्त कला है जो बिहार के गाँव में फैली हुई है जिसे देश विदेश तक पहुँचाना है। साथ ही कई ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिर भी है जिनके बार में लोग नहीं जानते। लेकिन ग्रामीण टूरिज्म के बढ़ावे से वे इससे जान पायेंगे और देख पाएंगे।
ग्रामीण पर्यटन के शुरू होने से बिहार में रोजगार के अवसर भी निकल कर सामने आएंगे। गाँव के युवा अपने पीछे छूटे कलाओं को फिर से नया रूप देकर लोगों तक पहुंचा सकते हैं। जो उनके विरासत को आगे ले जाने का काम करेगी। इस बारे में पर्यटन विभाग मंत्री नारायण प्रसाद कहते हैं कि ग्रामीण टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए विभाग के स्तर से कई काम शुरू किया गया है। गांव के खान-पान से पर्यटक जुड़ेगे जिससे गाँव की औरतों और साथ ही युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।