पिछले साल जहां मानसून ने जून के मध्य में ही एंट्री मरी थी। वहीं इस साल बिहार में मानसून अलग ही मिजाज में नज़र आ रहा है। जून के आखरी हफ्ते में मानसून ने बिहार में एंट्री मारी ही लेकिन कुछ ही दिनों के बाद से मानसून बिहार से गायब हो चूका है। इसके बारे में मौसमविदों और जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों के अध्ययनकर्ताओं ने इसके पीछे जलवायु असंतुलन को वजह माना है। मौसम विदों का कहना है कि हाल के वर्षों में मानसून की पहली बार यह असामान्य प्रवृत्ति दिख रही है।
इसका असर यह है कि सूबे के अधिकतर जिले बारिश की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं। बिहार में पिछले कुछ दिनों से बारिश न के बराबर हुई है। बरसात न होने से औसत न्यूनतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बिहार में मानसूनी बारिश को लेकर ताजा अपडेट जारी किया है। इसमें आने वाले कुछ दिनों तक अच्छी बारिश की संभावना न के बराबर जताई गई है।
मौसम के रूखे मिजाज को देखते हुए राज्य भर में खेतीबारी के प्रभावित होने की आशंका भी गहराने लगी है। बारिश के मौसम में बिहार में व्यापक पैमाने पर धान की खेती की जाती है, लेकिन बारिश न होने की वजह से कृषि संबंधी गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ गई है।
इस बार बंगाल की खाड़ी की शाखा आरंभ से ही काफी कमजोर रही है। यही वजह है कि सूबे में बारिश की इतनी किल्लत हो रही है। इस मौसम में मानसून की ट्रफ रेखा के आसपास होती है लेकिन अब भी मानसून की ट्रफ रेखा अपने वास्तविक स्थान से दूर है। और यह ट्रफ ओडिशा और मध्यप्रदेश की ओर है। टर्फ के उधर से लौटने के बाद ही बारिश होगी। जिससे बारिश का इंतजार कर रहे लोगों को काफी राहत मिलेगी।