देश में कई ऐसे लोग हैं जो देश के अंदर रहने वाले लोगों को धर्म, जाति के नाम पर अलग करने की कोशिश करते रहते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप कई बार देश में हिंसक झड़प दंगे मारपीट देखने को मिल जाती है। लेकिन इसके बावजूद भी हमारे देश के लोग आए दिन उदाहरण देते रहते हैं की यह देश एकता का देश है। इसके अंदर भले ही भाई भाई से लड़े लेकर साथ ही रहते हैं। और एक ऐसा ही उदाहरण सोमवार 8 अगस्त को बिहार में देखने को मिला।
8 अगस्त की रात बिहार के बक्सर जिले में मुहर्रम का ताजिया जुलूस निकाला गया। बक्सर के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में सोमवार की रात स्थापित की गई ताजिया जुलूस में देश की आजादी के अमृत महोत्सव को भी मनाया गया। पांच बुर्राकों के साथ हर साल बनने वाले इस ताजिया की बनावट इस बार तिरंगा के रंग से की गई है। पूरी साज-सज्जा के साथ इस ताजिया जुलूस को तिरंगे के रंग में सजाया गया।
ताजिया के आसपास तिरंगे के रंग में भारत का नक्शा बनाकर सजाया गया जो काफी आकर्षक दिख रहा था। ताजिया रखने वाले समिति के अध्यक्ष मोहम्मद मुस्तफा ने बताया कि ब्रिटिश काल से ही उनके पूर्वज हजरत हुसैन की याद में आकर्षक तुझे स्थापित करते आ रहे हैं। अपने पूर्वजों की इसी परंपरा को आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल आजादी की 75वीं सालगिरह पर हर घर तिरंगा लगाने का ऐलान किया है। ऐसे में हमने भी ताजिया को तिरंगे रंग में सजाया है।
2 साल की वैश्विक महामारी के कारण मुस्लिम समुदायों द्वारा मातमी त्योहार को भव्यता से नहीं मनाया गया था। लेकिन इस बार प्रशासन ने कुछ गाइडलाइन के तहत मुहर्रम मनाने की छूट दी है। जिस की तैयारी में मुस्लिम समुदाय 1 महीने से लगे हुए थे। आपको बता दें मुस्लिम समुदायों का यह पर्व प्रत्येक वर्ष पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत को याद करने और शोक मनाने के लिए मनाया जाता है। मुसलमानों की हिजरी वर्ष का यह पहला महीना है, जिसे शहादत का महीना भी कहा जाता है। मुहर्रम के नौवें और दसवें दिन को मुसलमान रोजा रखते हैं तथा मस्जिद और घरों में अल्लाह की इबादत करते हैं।