बिहार में शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार आये दिन और सख्त होती जा रही है। राज्य के जिलों से आये दिन शराब माफियाओं का धड़ पकड़ किया जा रहा है। इसी बीच सरकार न नया फरमान जारी हुआ है जिसमें शराबबंदी कानून का पालन कराने के लिए शराबियों को पकड़वाने के आदेश राज्य के शिक्षकों को दी गयी है। राज्य के सभी सरकारी शिक्षक शराबियों की पहचान करेंगे और इसकी सूचना उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग (Excise Department) को देंगे।
सरकार के इस आदेश के बाद शिक्षक संगठनों का कहना है कि कभी खुले में शौच रोकने के लिए आदेश दिया जाता है तो कभी शराबियों को पकड़ने का। सरकार शिक्षकों को पिटवाने की कोशिश कर रही है। शिक्षकों का कहना है कि अब टीचर सभी जिलों में आदेश की प्रतियां जलाने के साथ सड़क पर उतर कर आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं। शिक्षक संगठनों का कहना है कि अगर आदेश को वापस नहीं लिया जाता है तो राज्य में हर स्तर से विरोध किया जाएगा।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बिहार के तमाम डीईओ (DEO) और डीपीओ (DPO) को पत्र जारी कर राज्य के सभी सरकारी शिक्षक शराबियों की पहचान करवाएवाले आदेश पर अमल में लाने को कहा गया है। यह आदेश तमाम सरकारी शिक्षकों के साथ शिक्षक समितियों को भी दिया गया है। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के इस फरमान के बाद राज्य की सियासी गलियारों में गर्माहट बढ़ रही है।
बिहार में RRB-NTPC के लिए हो रहा आंदोलन अभी थमा भी नहीं है कि सरकार के इस आदेश से एक और आंदोलन की चिंगारी उठ रही है। बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश प्रवक्ता मुस्तफा आजाद का कहना है कि शिक्षकों की तरफ से सरकार को चेतावनी है कि आदेश अविलंब वापस नहीं लिया जाता तो शिक्षक सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे।
सरकार के इस आदेश के बाद कई राजनीतिक पार्टियां इसको बेतुका बता रही है। बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार पप्पू ने कहा है कि राज्य के सभी प्रखंड मुख्यालय पर 30 जनवरी रविवार को अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग के आदेश पत्र की प्रति जलाकर विरोध करेंगे। मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इसको तुगलकी फरमान करार देते हुए कहा कि शिक्षा विभाग का यह फैसला हास्यास्पद है, इसे तत्काल वापस लेना चाहिए।